कोलस्ट्रोल बढ़ने के कारण हार्ट अटैक- उसका आयुर्वेदिक इलाज

Posted: 23 जुलाई 2022

ये याद रखिये की भारत मैं सबसे ज्यादा मौते कोलस्ट्रोल बढ़ने के कारण हार्ट अटैक से होती हैं।

आप खुद अपने ही घर मैं ऐसे बहुत से लोगो को जानते होंगे जिनका वजन व कोलस्ट्रोल बढ़ा हुआ हे।

अमेरिका की कईं बड़ी बड़ी कंपनिया भारत मैं दिल के रोगियों (heart patients) को अरबों की दवाई बेच रही हैं !

लेकिन अगर आपको कोई तकलीफ हुई तो डॉक्टर कहेगा angioplasty (एन्जीओप्लास्टी) करवाओ।

इस ऑपरेशन मे डॉक्टर दिल की नली में एक spring डालते हैं जिसे stent कहते हैं।

यह stent अमेरिका में बनता है और इसका cost of production सिर्फ 3 डॉलर (रू.150-180) है।

इसी stent को भारत मे लाकर 3-5 लाख रूपए मे बेचा जाता है व आपको लूटा जाता है। 

डॉक्टरों को लाखों रूपए का commission मिलता है इसलिए व आपसे बार बार कहता है कि angioplasty करवाओ।

Cholestrol, BP ya heart attack आने की मुख्य वजह है, Angioplasty ऑपरेशन।

यह कभी किसी का सफल नहीं होता।

क्यूँकी डॉक्टर, जो spring दिल की नली मे डालता है वह बिलकुल pen की spring की तरह होती है।

कुछ ही महीनो में उस spring की दोनों साइडों पर आगे व पीछे blockage (cholestrol व fat) जमा होना शुरू हो जाता है। 

इसके बाद फिर आता है दूसरा heart attack ( हार्ट अटैक )

डॉक्टर कहता हें फिर से angioplasty करवाओ।

आपके लाखो रूपए लुटता है और आपकी जिंदगी इसी में निकल जाती हैं।

उसका आयुर्वेदिक इलाज

अदरक (ginger juice) - 

यह खून को पतला करता है।

यह दर्द को प्राकृतिक तरीके से 90% तक कम करता हें।

लहसुन (garlic juice) 

इसमें मौजूद allicin तत्व cholesterol व BP को कम करता है।

वह हार्ट ब्लॉकेज को खोलता है।

नींबू (lemon juice) 

इसमें मौजूद antioxidants, vitamin C व potassium खून को साफ़ करते हैं।

ये रोग प्रतिरोधक क्षमता (immunity) बढ़ाते हैं।

एप्पल साइडर सिरका ( apple cider vinegar) 

इसमें 90 प्रकार के तत्व हैं जो शरीर की सारी नसों को खोलते है, पेट साफ़ करते हैं व थकान को मिटाते हैं।


         इन देशी दवाओं को 

       इस तरह उपयोग में लेवें 

1-एक कप नींबू का रस लें;

2-एक कप अदरक का रस लें;  

3-एक कप लहसुन का रस लें; 

4-एक कप एप्पल का सिरका लें; 

चारों को मिला कर धीमीं आंच पर गरम करें जब 3 कप रह जाए तो उसे ठण्डा कर लें; अब आप 

उसमें 3 कप शहद मिला लें रोज इस दवा के 3 चम्मच सुबह खाली पेट लें जिससे सारी ब्लॉकेज खत्म हो जाएंगी।


जरा सोचिये की शाम के

7:25 बजे है और आप घर जा रहे है वो भी एकदम अकेले।

ऐसे में अचानक से आपके सीने में तेज दर्द होता है जो आपके हाथों से होता हुआ आपके

जबड़ो तक पहुँच जाता है।  आप अपने घर से सबसे नजदीक अस्पताल से 5 मील दूर है और दुर्भाग्यवश आपको ये नहीं समझ आ रहा की आप वहांतक पहुँच पाएंगे की नहीं। आप सीपीआर में प्रशिक्षित है मगर वहां भी आपको ये नहीं सिखाया गया की इसको खुद पर प्रयोग कैसे करे।


     ऐसे में दिल के दौरे से बचने 

            के लिए ये उपाय

चूँकि ज्यादातर लोग दिल के दौरे के वक्त अकेले होते है बिना किसी की मदद के उन्हें सांस लेने में तकलीफ

होती है । वे बेहोश होने लगते है और उनके पास सिर्फ 10 सेकण्ड्स होते है । ऐसे हालत में पीड़ित जोर जोर से खांस कर खुद को सामान्य रख सकता है। एक जोर की सांस लेनी चाहिए हर खांसी से पहले और खांसी इतनी तेज हो की छाती से थूक निकले। जब तक मदद न आये ये प्रक्रिया दो सेकंड से दोहराई जाए ताकि धड्कण सामान्यहो जाए । जोर की साँसे फेफड़ो में ऑक्सीजन पैदा करती है और जोर की खांसी की वजह से दिल सिकुड़ता है जिस से रक्त सञ्चालन नियमित रूप से चलता है ।


     सूचना-: उक्त लेख विभिन्न सोसियल मीडिया के साभार से लिया गया है । अर्थात कॉपी पेस्ट है । और हम इसे प्रमाणित नही करते है अतः केवल जानकारी के आधार पर संग्रहित किया जा रहा है

यात्रा करते समय यदि आपको आपात स्थिति में किसी दवा की आवश्यकता है

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 ट्रेन से यात्रा करते समय यदि आपको आपात स्थिति में किसी दवा की आवश्यकता है तो कृपया श्री विजय मेहता से संपर्क करें।  यह किसी भी अगले स्टेशन स्टॉप पर बिना किसी अतिरिक्त लागत के उपलब्ध कराया जाएगा।  क्योंकि ट्रेन में हमें डॉक्टर मिल सकते हैं लेकिन दवा नहीं विजय मेहता सेल नंबर: 09320955005 पर उपलब्ध है ---- भारत के लगभग 400 रेलवे स्टेशनों को कवर किया गया है।  कृपया इस पोस्ट को अपने सभी संपर्कों में साझा करें।



सूचना-: उक्त लेख विभिन्न सोसियल मीडिया के साभार से लिया गया है । अर्थात कॉपी पेस्ट है । और हम इसे प्रमाणित नही करते है अतः केवल जानकारी के आधार पर संग्रहित किया जा रहा है

नींव ही कमजोर पड़ रही है गृहस्थी की..!!

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 इसके मूल कारण और जड़ पर कोई नहीं जा रहा है, जो कि अति संभव है एवं निम्न हैं:--

1, पीहरवालों की अनावश्यक  दखलंदाज़ी।

2, संस्कार विहीन शिक्षा

3, आपसी तालमेल का अभाव 

4, ज़ुबानदराज़ी

5, सहनशक्ति की कमी

6, आधुनिकता का आडम्बर

7, समाज का भय न होना

8, घमंड झूठे ज्ञान का

9, अपनों से अधिक गैरों की राय

10, परिवार से कटना।

 11.घण्टों मोबाइल पर चिपके रहना ,और घर गृहस्थी की तरफ ध्यान न देना। 

12. अहंकार के वशीभूत होना । 

पहले भी तो परिवार होता था,

और वो भी बड़ा।

लेकिन वर्षों आपस में निभती थी!

भय था , प्रेम था और रिश्तों की मर्यादित जवाबदेही भी।

पहले माँ बाप ये कहते थे कि मेरी बेटी गृह कार्य में दक्ष है, 

और अब कहते हैं कि मेरी बेटी नाज़ों से पली है । आज तक हमने तिनका भी नहीं उठवाया।

तो फिर करेगी क्या शादी के बाद ?

शिक्षा के घमँड में बेटी को आदरभाव,अच्छी बातें,घर के कामकाज सिखाना और परिवार चलाने के सँस्कार नहीं देते।

माँएं खुद की रसोई से ज्यादा बेटी के घर में क्या बना इसपर ध्यान देती हैं।

भले ही खुद के घर में रसोई में सब्जी जल रही है ।

मोबाईल तो है ही रात दिन बात करने के लिए।

परिवार के लिये किसी के पास समय नहीं।

या तो TV या फिर पड़ोसन से एक दूसरे की बुराई या फिर दूसरे के घरों में तांक-झांक।

जितने सदस्य उतने मोबाईल।

बस लगे रहो।

बुज़ुर्गों को तो बोझ समझते हैं।

पूरा परिवार साथ बैठकर भोजन तक नहीं कर सकता।

सब अपने कमरे में।

वो भी मोबाईल पर।

बड़े घरों का हाल तो और भी खराब है।

कुत्ते बिल्ली के लिये समय है।

परिवार के लिये नहीं।

सबसे ज्यादा बदलाव तो इन दिनों महिलाओं में आया है।

दिन भर मनोरँजन, 

मोबाईल,

स्कूटी..कार पर घूमना फिरना ,

समय बचे तो बाज़ार जाकर शॉपिंग करना

और ब्यूटी पार्लर।

जहां घंटों लाईन भले ही लगानी पड़े ।

भोजन बनाने या परिवार के लिये समय नहीं।

होटल रोज़ नये-नये खुल रहे हैं।

जिसमें स्वाद के नाम पर कचरा बिक रहा है।

और साथ ही बिक रही है बीमारी एवं फैल रही है घर में अशांति।

आधुनिकता तो होटलबाज़ी में है।

बुज़ुर्ग तो हैं ही घर में बतौर चौकीदार।

पहले शादी ब्याह में महिलाएं गृहकार्य में हाथ बंटाने जाती थीं।

और अब नृत्य सीखकर।

क्यों कि महिला संगीत में अपनी नृत्य प्रतिभा जो दिखानी है।

जिस महिला की घर के काम में तबियत खराब रहती है वो भी घंटों नाच सकती है।

👌🏻घूँघट और साड़ी हटना तो चलो ठीक है,

*लेकिन बदन दिखाऊ कपड़े ?

बड़े छोटे की शर्म या डर रहा क्या ?

वरमाला में पूरी फूहड़ता।

कोई लड़के को उठा रहा है।

कोई लड़की को उठा रहा है 

और हम ये तमाशा देख रहे हैं, खुश होकर, मौन रहकर।

*माँ बाप बच्ची को शिक्षा तो बहुत दे रहे हैं ,

लेकिन उस शिक्षा के पीछे की सोच ?

ये सोच नहीं है कि परिवार को शिक्षित करें।

बल्कि दिमाग में ये है कि कहीं तलाक-वलाक हो जाये तो अपने पाँव पर खड़ी हो जाये

ख़ुद कमा खा ले।

जब ऐसी अनिष्ट सोच और आशंका पहले ही दिमाग में हो तो रिज़ल्ट तो वही सामने आना ही है।

 साइँस ये कहता है कि गर्भवती महिला अगर कमरे में सुन्दर शिशु की तस्वीर टांग ले तो शिशु भी सुन्दर और हृष्ट-पुष्ट होगा।

मतलब हमारी सोच का रिश्ता भविष्य से है।

बस यही सोच कि - अकेले भी जिंदगी जी लेगी गलत है ।

संतान सभी को प्रिय है।

लेकिन ऐसे लाड़ प्यार में हम उसका जीवन खराब कर रहे हैं।

पहले पुराने समय में , स्त्री तो  छोड़ो पुरुष भी थाने, कोर्ट कचहरी जाने से घबराते थे।

और शर्म भी करते थे।

लेकिन अब तो फैशन हो गया है।

पढ़े-लिखे युवक-युवतियाँ तलाकनामा तो जेब में लेकर घूमते हैं।

पहले समाज के चार लोगों की राय मानी जाती थी।

और अब तो समाज की कौन कहे , माँ बाप तक को जूते की नोंक पर रखते हैं।

सबसे खतरनाक है - ज़ुबान और भाषा,जिस पर अब कोई नियंत्रण नहीं रखना चाहता।

कभी-कभी न चाहते हुए भी चुप रहकर घर को बिगड़ने से बचाया जा सकता है।

लेकिन चुप रहना कमज़ोरी समझा जाता है। आखिर शिक्षित जो हैं।

और हम किसी से कम नहीं वाली सोच जो विरासत में मिली है।

आखिर झुक गये तो माँ बाप की इज्जत चली जायेगी।

गोली से बड़ा घाव बोली का होता है।

आज समाज ,सरकार व सभी चैनल केवल महिलाओं के हित की बात करते हैं।

पुरुष जैसे अत्याचारी और नरभक्षी हों।

बेटा भी तो पुरुष ही है।

एक अच्छा पति भी तो पुरुष ही है।

जो खुद सुबह से शाम तक दौड़ता है, परिवार की खुशहाली के लिये।

खुद के पास भले ही पहनने के कपड़े न हों।

घरवाली के लिये हार के सपने ज़रूर देखता है।

बच्चों को महँगी शिक्षा देता है।

मैं मानता हूँ पहले नारी अबला थी।

माँ बाप से एक चिठ्ठी को मोहताज़।

और बड़े परिवार के काम का बोझ।

अब ऐसा है क्या ?

सारी आज़ादी।

मनोरंजन हेतु TV,

कपड़े धोने के लिए वाशिंग मशीन, 

मसाला पीसने के लिए मिक्सी, 

*रेडिमेड  पैक्ड आटा,

पैसे हैं तो नौकर-चाकर,

घूमने को स्कूटी या कार 

फिर भी और आज़ादी चाहिये।

आखिर ये मृगतृष्णा का अंत कब और कैसे होगा ?

घर में कोई काम ही नहीं बचा।

दो लोगों का परिवार।

उस पर भी ताना।।

कि रात दिन काम कर रही हूं।

ब्यूटी पार्लर आधे घंटे जाना आधे घंटे आना और एक घंटे सजना नहीं अखरता।

लेकिन दो रोटी बनाना अखर जाता है।

कोई कुछ बोला तो क्यों बोला ?

बस यही सब वजह है घर बिगड़ने की।

खुद की जगह घर को सजाने में ध्यान दें , तो ये सब न हो।

समय होकर भी समय कम है परिवार के लिये।

ऐसे में परिवार तो टूटेंगे ही।

पहले की हवेलियां सैकड़ों बरसों से खड़ी हैं।और पुराने रिश्ते भी।

आज बिड़ला सीमेन्ट वाले मजबूत घर कुछ दिनों में ही धराशायी। और रिश्ते भी महीनों में खत्म।

इसका कारण है

रिश्तों  मे ग़लत सँस्कार

खैर हम तो जी लिये।

सोचे आनेवाली पीढी।

घर चाहिये या दिखावे की आज़ादी ?

दिनभर बाहर घूमने के बाद रात तो घर में ही महफूज़ होती है।

आप मानो या ना मानो आप की मर्जी मगर यह कड़वा सत्य है।..


सूचना-: उक्त लेख विभिन्न सोसियल मीडिया के साभार से लिया गया है । अर्थात कॉपी पेस्ट है । और हम इसे प्रमाणित नही करते है अतः केवल जानकारी के आधार पर संग्रहित किया जा रहा है

EWS सर्टिफिकेट बनाए:-

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 EWS सर्टिफिकेट बनाए:- 


केंद्र और राज्य सरकार ने गरीब लोगो के लिये अलग से 10℅ EWS कैटेगरी में आरक्षण दिया हैं, जिसे  EWS (economically weaker section ) कैटेगरी कहा जाता हैं, जिसके लिये जैन समाज के ज्यादातर लोग पात्र हैं और EWS के हकदार हैं। ये आरक्षण हमारे  समाज के आर्थिक और शैक्षणिक पिछड़ेपन को दूर करने में  मददगार साबित हो सकता है। लेकीन अफसोस के EWS के 10%आरक्षण को लेकर जैन समाज में जानकारी का बहुत ज्यादा अभाव है, इसलिये EWS को लेकर *जागरूकता और प्रचार करना जरुरी है और ये हम सब की जिम्मेदारी है !!!  

पात्रता

 जो जैन भाई सामान्य वर्ग से है (जनरल  कॅटेगरी से है) और जिनकी सालाना उत्पन्न  यानी वार्षिक आय 8 लाख रुपये से कम हैं, वह इस आरक्षण के लिये पात्र है!!!

शैक्षणिक क्षेत्र में फायदा:-

सभी शिक्षण संस्थओ मे सभी कोर्सेस के लिये 10% सीट्स EWS कॅटेगरी के लिये आरक्षित है और फीस मे भी सहूलियात मिलती हैं।

 -11th ,12th

- diploma, graduation,

Post graduation

-BA, BSC, B.COM 

-D.ed, B.Ed

-Medical, pharmacy, nursing

-enginering, polytechnic,

-LLB

-ITI

etc...

शासकीय नौकरियों में फायदा

 गवर्नमेंट की हर नौकरी में 10% नौकरियां EWS कॅटेगरी के लिये आरक्षित है।

   क्लास 4 से लेकर क्लास 1 गजेटेड

(सिपाही से लेकर कलेक्टर ) तक की सभी नौकरियों में EWS  आरक्षण का लाभ मिल रहा है।

 10% EWS आरक्षण का लाभ लेने के लिये आपके पास

EWS सर्टिफिकेट होना जरुरी है!!

 महाराष्ट्र /मध्यप्रदेश/छत्तीसगढ़ /झारखण्ड/बिहार/उ0प्र0 मे EWS सर्टिफिकेट कैसे हासिल करें??

EWS  सर्टिफिकेट तहसीलदार के ऑफिस से मिलता है, आपको अपने तहसील के सेतु सुविधा केन्द्र  च्वाइस सेन्टर या ई-सेवा केंद्र से आवेदन करना पड़ेगा।

आवश्यक दस्तावेज

- पालक/अभिभावक का वार्षिक उत्पन्न/ आय प्रमाणपत्र

- लाभार्थी का  आधार कार्ड

-  टी. सी. या निर्गम उतारा/जन्म प्रमाणपत्र

 

_नोट- EWS के 10% के लिहाज से लोगों को बतायें , और EWS certificate  बनाने मे लोगों की मदद करे,


 अवश्य पढे़ं और सभी जैन भाई  तक शेयर करें, महाराष्ट्र में 43 ITI मे 4300 जगह और 15 सरकारी पाॕलिटेक्निक मे 1800 जगह स्पेशल मायनाॕरिटी आरक्षित सेकंड शिफ्ट शुरु हो रही हैैं,आप अपने प्रदेश में भी मांग कर सेकेंड शिफ्ट चालु या शुरू करवा सकते हैं!

अपने समाज  के बच्चों को कौशल विकास केन्द्र खोलकर टेक्नोलोजी में निपुण करें स्वास्थ एवं स्वच्छता/ड्राइवर/शार्ट हैंड /सेनेटरी इंस्पेक्टर/ कुकिंग शेफ /लांड्री सुपरवाइजर/आटोमोबाइल स्पेशलिस्ट/टेलरिंग कटर/सुरक्षा गार्ड/प्लम्बर/इलेक्ट्रॉनिक टेक्नोलोजी/इलेक्ट्रीकल टेक्नोलोजी/ब्युटीशियन/नर्सिंग स्टाफ/लैब टेक्नीशियन/जैसे कोर्स जिनके रोजगार हमेशा जरूरत पड़ती है शुरू करें 

अपने सभी जैन समाज की संस्था /सामाजिक सेवा संस्था /यंग संस्था /बहुद्देशीय संस्था  को प्रधानमंत्री कौशल विकास केन्द्र या मुख्यमंत्री कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम में रजिस्ट्रेशन कराएं और शासन की योजनाओं का लाभ प्राप्त कर सकते हैं

अपने मोहल्ले में महिला स्व-सहायता समूह की स्थापना करें 7महिलाओ का ग्रुप को रोज़गार गारंटी योजना के अन्तर्गत जिला सहकारी बैंक में 50000/प्रति ग्रुप लोन लेकर महिलाओं को आर्थिक सहायता एवं स्वालमबी बनाएं