"धर्म" सस्कृत भाषा का शब्द है, अर्थ अत्यंत व्यापक है किसी अन्य भाषा में धर्म का समानार्थक शब्द मुझे देखने को नहीं मिला.
जब मुझे किसी ने एक सभा में पूछा कि -"घर्म क्या है ?" मेरा मानना है कि मानव जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में न्यायसंगत आचरण की संहिता को घर्म कहा गया है.
"अभ्युदय- नि:श्रेयसे साघनत्वेना धारयति - इति धर्म:!
जो इस ससार में सभी का सुख और योगक्षेम करे तथा परलोक में शान्ति एवं आनंद प्रदान करे, वही धर्म है. (विधारान्य)
धार्णाद धर्म इतयाहुर्धर्मो धारयते प्रजा:
यत स्याद धारणसंयुक्त स धर्म इति निश्चय :!!
धर्म समाज को धारण एवं उसका पोषण करता है. धर्म सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखता है. धर्म मानव समाज का योगक्षेम करता है उसकी प्रगति में सहायक बनाता है. सभी उद्देश्यों को पूर्ण करने वाला निश्चय ही धर्म है.
जो समाज को स्थायित्व प्रदान करे एव उसके विकास में सहायक होता है तथा मानव का कल्याण एव योगक्षेम करता है वही धर्म है.. (भारत का सर्वोच्चा न्यायालय १९९६(९) एम्.सी.सी. ५४८ पैरा ५९ से ७९ )
तादृशो$यमनुप्रश्नो यत्र धर्मः सुदुर्लभ:।
दुष्कर: प्रतिसख्यातुम तत्केनात्र व्यवस्यति ॥
प्रभवार्थाय भूताना धर्मप्रवचनम कृतम।
यः स्यत्प्रभवसयुक्त: स धर्म इति निश्चित :॥
धर्म का अर्थ क्या ? इस प्रश्न का उत्तर देना आसान नही है . सभी जीवो के उत्थान में साहयक है वही धर्म अर्थात जो सभी जीवो का कल्याण कर सकता है वही निशिचत रूप से धर्म है.
स हि नि: श्रेयसेन पुरुषं संयुनत्तिती प्रतिजानीमेह ।
तदभिधीयते -
वेदों के अनुशार सभी जीवो की अत्याधिक भलाई में जो सहायक है - वही धर्म है.
धर्म एव हतो हन्ति धर्मो रक्षति रक्षित:!
तस्माद्वर्मो न हन्तव्यो मा नो धर्मो हतो$वघित!!
यदि हम धर्म रक्षा करते है तो धर्म हमारी रक्षा करेगा. यदि धर्म का नाश होता है तो हमारा भी नाश होगा . अत: धर्म का नाश नहीं होना चाहिए ताकि उसके फलस्वरूप हमारा भी नाश न हो.
अंहिसा सत्यमस्तेयं शोच्मिन्द्रियनिग्रह:!
एतं सामासिकं धर्म !
अंहिसा( हिंसा न करना), सत्य (सच बोलना) , अस्तेय (अवैध रूप से धन न कमाना ), शोच (अंतरंग तथा बहिरंग शुद्धि ), और इन्द्रिय निग्रह (इन्द्रियों को संयम में रखना ) यह धर्म के पाच सामान्य नियम है जिसका हम सभी को पालन करना चाहिए.
सुन्दर आलेख -तुलसी ने कहा कि परहित सरिस धरम नहीं भाई !
बहुत आभार इस आलेख के लिए.
धर्म को बहुत सुंदर ढंग से विवेचित किया है .. गलतफहमी में लोग आडंबर को धर्म मान बैठते हैं !!
बहुत सुंदर और उपयोगी पोस्ट.
रामराम.
बहुत सुन्दर पोस्ट है धर्म का सही विवेचन किया है ।धन्यवाद्
बहुत अच्छी बात कही आप ने, धन्यवाद
बहुत सुन्दर पोस्ट|
सच्चाई तो ये है की इंसान के साथ जानवर भी अपने धर्म का पालन करते हैं.
बहुत सार्थक प्रयास..... अमूल्य संकलन । इनवर्टिड कॉमा टैक्स्ट पर इस तरह से चढे जा रहे हैं..मानो धर्म को निगल जाएंगे...पर धर्म शास्वत है....ये हटा दिए जाएं तो भी रहेगा ।