अणुव्रत गीत

Posted: 20 नवंबर 2009
अणुव्रत गीत

 
संयममय जीवन हो ॥
नैतिकता की सुर सरिता में जन-जन मन पावन हो।
संयममय जीवन हो ॥
अपने से अपना अनुशासन, अणुव्रत की परिभाषा
वर्ण, जाति या समप्रदाय से मुक्त धर्म की भाषा
छोटे-छोटे संकल्पों से मानस परिवर्तन हो
संयममय जीवन हो ॥
मैत्री-भाव हमारा सबसे प्रतिदिन बढ़ता जाए
समता, सह-अस्तित्व, समन्वय-नीति सफलता पाए
शुद्ध साध्य के लिए नियोजित मात्र शुद्ध, साधन हो
संयममय जीवन हो ॥
विद्यार्थी या शिक्षक हो मजदूर और व्यापारी
नर हो नारी बने नीतिमय जीवनचर्या सारी
कथनी-करनी की समानता में गतिशील चरण हो
संयममय जीवन हो ॥
प्रभु बनकर ही हम प्रभु की पूजा कर सकते हैं
प्रामाणिक बनकर ही संकट सागर तर सकते हैं
शौर्य-वीर्य-बलपती अहिंसा ही जीवन दर्शन हो
संयममय जीवन हो ॥
सुधरे व्यक्ति, समाज व्यक्ति से, राष्ट्र स्वयं सुधरेगा
तुलसी अणुव्रत-सिंह नाथ सारे जग में पसरेंगा
मानवीय आचार संहिता में अर्पित तन-मन हो
संयममय जीवन हो ॥
अणुव्रतगीत
बदले युग की धारा।
नई दृष्टि हो, नई सृष्टि हो अणुव्रतों के द्वारा
बदले युग की धारा।
मानवीय मूल्यों की रक्षा अणुव्रत का आशय है,
आध्यात्मिकता प्रामाणिकता उसका अमल हृदय है।
हिंसा के इस गहन तिमिर में अणुव्रत एक उजाला॥


धार्मिक है, पर नहीं कि बहुत बड़ा विस्मय है,
नैतिकता से शुन्य धर्म का यह कैसा अभिनय है ?
इस उलझन का धर्म क्रांति ही है कमनीय किनारा॥


मूल्यपरक शिक्षा के युग में संयम का अकंन हो,
सत्य अहिंसा से आप्लावित जन-जन का जीवन हो।
भोगवाद के चक्रवाद से सहज मिले छुटकारा॥


व्यक्ति बनेगा स्वस्थ तभी तो स्वस्थ समाज बनेगा,
सघन स्वार्थ की मूर्च्छा का उपचार अणुव्रत देगा।
प्रकटे अब परमार्थ-चेतना, उपकृत हो जग सारा॥


करें प्रबल पुरूषार्थ, सभी में अभिनव आस्था जागे,
जोंड़ें सबके अन्तर-मानस को करूणा के धागे।
बदले युग की धारा।
( लय : संयममय जीवन हो )
terapanthinfo.in/terapanth/Philosophy/Anuvrat/Songs

3 comments:

  1. राज भाटिय़ा 21 नवंबर, 2009

    इस सुंदर रचना ओर प्राथना के लिये धन्यवाद

  2. Gyan Dutt Pandey 21 नवंबर, 2009

    बहुत सुन्दर! संयम की जितनी बात की जाये, जितनी प्रकार से, कल्याणकारी है।

  3. hem pandey 21 नवंबर, 2009

    भावनाएं तो अच्छी हैं. लेकिन यह संभव कैसे हो - इसपर विचार और इसके लिए पहल की आवश्यकता है.

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