किन्तु चन्द्र्मा रोने लगा।
रामजी ने पुछा-"तुम क्यो रोते हो ?"
चन्द्रमा ने कहा-"आप सूर्यवन्श मे पैदा हुऐ इसलिए सूर्य खुश है। मुझे तो आपके दर्शन होगे नही,
फिर मेरा उद्धार कैसे होगा ?"
रामजी को दया आ गई। उन्होने कहा-"मेरा जन्म भले ही सूर्यवन्श मे हुआ है, पर कोई मुझे "रामसुर्य" नही कहेगा। मै आज से तुम्हारा नाम धारण करता हू। लोग मुझे "रामचन्द्र" ही कहेगे।"
महापुरुष बडे दयाशील होते है ।उनकी दया के लिए यह जरुरी है कि हम उन्हे दिल से याद करे।
मुनि श्री तरुणसागरजी, कडवे प्रवचन- 4-94
सीयापति रामचन्द्र की जय.
आम तौर पर कहा जाता है कि पति के नाम से पत्नी पहचानी जाती है. रामजी सियापति कहलाते है.
वाह क्या बात है, छोटी सी बात लेकिन कितनी महान.बहुत सुंदर
धन्यवाद