आचार्य महाप्रग्य जैसे महापुरुष के लिए कोई भी पुरस्कार उनके धर्मबल व्यक्तित्व के सामने बोना हो जाता है। देश - विदेश की कई सगठन आचार्य श्री को पुरुस्कारों से सम्मान पत्रों से अभिवादन किया । एक बार एक बहुत बड़े धार्मिक सगठन के मुख्या, आचार्य महाप्र्ग्याजी के पास आए और प्रार्थना की हमारा सगठन आपका सम्मान करना चाहती है ।
आचार्य ने पूछा कैसे ? उन्होंने बताया एक प्रसस्ति-पत्र एवं ११ लाख नकद (रुपया ) पुरस्कार से. आचार्य श्री ने कहा- मै जैन साधू हु ,और जैन साधू अपने पास रुपया पैसा नही रखता है, यहाँ तक की दवाई भी रात में श्रावको को सोप देते है । हमे रुपयों की आवश्यकता नही क्यो की हम साधू क्रिया (पंच महाव्रत धारी) का पालन करते है और भिक्षा मांग कर आहर लाते है हमे धन से क्या वास्ता । अगर आपको रुपया देना ही है तो कोई भी सामाजिक सस्था को देदे वो पैसा जन हीत में काम आई। तेरापंथ के आचार्य या साधू को दिए जाने वाले मोमेंटो ईत्यादी तेरापंथ धर्म के सामजिक सगठन के कार्यकर्ताओं द्वारा ग्रहण किया जाता है अथवा सुर्क्षितरखा जाता है।
आचार्य महाप्रग्य जी को अनेक सरकारी- गैर सरकारी सगठनों द्वारा पुरस्क्रत कर अपने आप में गोरवान्वित महसूस कर रही है। इसमे प्रमुख है भारत सरकार द्वारा प्रदत्त
इन्द्रा गांधी पुरस्कार राष्ट्रीय एकीकरण निमित १९९२ (आचार्य तुलसी)
राष्ट्रीय साम्प्रदायक सदभावना पुरस्कार
नोबल डिक्लेरेशन पुरस्कार
राजस्थान विद्यापीठ द्वारा भारत ज्योति पुरस्कार
मदर टेरेसा नेशनल अवोर्ड पुरस्कार सहित और भी ......
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पुरस्कारों का ही सम्मान हुआ है.
अगर आपको रुपया देना ही है तो कोई भी सामाजिक सस्था को देदे वो पैसा जन हीत में काम आई। तेरापंथ के आचार्य या साधू को दिए जाने वाले मोमेंटो ईत्यादी तेरापंथ धर्म के सामजिक सगठन के कार्यकर्ताओं द्वारा ग्रहण किया जाता है अथवा सुर्क्षितरखा जाता है।
इस जानकारी के लिये आभार आपका.
रामराम.
अरे वाह ,मेरा भी नमन !
आचार्य महाप्रज्ञ जी की वाणी को जिसने भी सुना/पढा है, वह उससे गहराई तक प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकता.
सस्नेह -- शास्त्री
सँजय भाई की बात से सहमत -
- लावण्या
उन्हें हमारा नमन.
hamara prnaam...sweekaar karen