INTERNATIONAL WOMEN'S DAY

Posted: 07 मार्च 2009

मेरी पत्नी का त्योहार।

सुबह - सुबह मेरी सामज सेवी, नारी सेवी, बिवी ने कहा- तुम्हे पत्ता है कल का दिन खास है। हमने चोकते हुए कहा-" क्या फिर से पाकिस्थान पर आतन्की हमला होने वाला ? "ऑतकवादी का तुम्हे फोन तो नही आया, मेरी लाडोजी ?

हर ऑतकवादी अक्सर दुसरे ऑतकवादी से मुऐ मुबाईल से बात करता रहता है। अपने भीतर के ऑतकवाद को अपनी ऑखो मे उतार कर पत्नीजी बोली- देखो, पडोसी के बारे मे ऐसी अशुभ बाते नही करनी चाहिये और इस तरह के सेन्स ऑफ ह्यूमर को "ब्लेक कॉमेडी" कहते है। हमने कहा -लाडोजी, तुमसे कॉमेडी भी तुम्हारे रन्ग के अनुरुप ही करनी चाहिये न!

बहरहाल अब इस एपिसोड को बिना ताने इस प्राइम टाइम मे बता दो कि काल किया है? पत्नी ने स्त्री सुलभ भाव-भगिमाए महिला आरक्षण, त्रिया-चरित्र, दादागिरी(दादागिरी का स्त्रीलिगी शब्द) या शायर लोग बेवकुफी मे जिसे अदाए कहते है, उन सबकी भेल बनाते हुये एक वाक्य प्रस्फुटित किया- "कल महिला दिवस है!" उसके रहस्योदघाटन को फैल करते हुऐ हमने कहा-"वो तो रोज ही होता है, कल भी है क्या? मेरी लाडोजी! इस मामले मे पुरुषो को कम से कम सन्डे को छुटी देनी चाहिए थी।"

पत्नि ने लगभग दहाडते हुऐ कहा-तुम मर्दो को ताने देने के सिवा आता ही क्या है ? पता है कविवर जयशन्कर प्रसाद ने लिखा था- "नारी तुम केवल श्रध्दा हो," और क्या पता किसने लिखा था- कि जिस घर मे नारी का सम्मान नही होता वह घर,घर नही होता।"

हमने कहा,-" इसीलिये भारत मे होटलो या धर्मशालाए कम और घरो कि सख्या ज्यादा है। बेचारे, पुरुष सम्मान के अलावा ओर कर भी क्या सकते है? जयशन्कर प्रसाद भी आखिर पुरुष ही थे! " यह कहते हुये हम घर को सचमुच "घर" बनाते हुए घर से निकल आये।

हो सकता कि निकट भविष्य मे नारी उत्पीडन के विरुद्ध सघर्षरत सस्थाऐ करवा चोथ पर मर्दो को भुखा प्यासा रखकर उनके हाथ मे छलनी थमा दे और कहे कि बेटा, देख इसमे से चॉन्द दिख जाये तभी व्रत तोडना!

अपने देश मे इतनी तरक्की हो चुकी है कि नारी का क्षेत्र अब चुल्हा चोके तक सीमित नही रहा। नारी अब घर से बाहर निकल चुकी है। घर मे रहने वाले पुरुषो के लिये इससे बडी खुशी क्या हो सकती है।

हर कला मे नारी पुरुषो से कन्धा से कन्धा मिलाकर आगे बढ रही है। वैसे भी, भिड-भाड के क्षेत्र मे हर पुरुष कि ईच्छा यही होती है कि महिला उनसे कन्धा से कन्धा मिला ले।पर ज्यादातर पुरुष इसमे मामले मे असफल ही सिद्ध होते होते है। हमे लगता है महिला दिवस पर कुछ महिलाओ को सम्मानित किया जाना चाहिये, कपडो कि बचत के लिये मलिक्का शेरावत,नॉन स्टाप जुबॉन चलाने के लिये राखी सॉवन्त, अपनी कोमल शब्दावली के लिये सम्भावना सेठ, निर्माण से पहले ही नैनो को बन्गाल से गुजरात दोडाने के लिये ममता बेनर्जी और यूपी कि मुलायम सडको को हाथी से रोदनेके लिये बहन मायावतीजी आदि उनमे से चन्द दैदिप्यमान सन्नारिया है। नारी के सम्मान की देश मे पराकाष्ठा यह है- जिन्हे आप भुलवश गुन्डे कहते है वे चुनाव कानुन से ग्रस्त, सजायाप्त, बाहुबली अपनी अपनी सीटो पर खुद न बैठते हुये अपनी पत्नी को खडा करने हेतु मान्यता प्रदान करते लगे है।

कल हर साल की तरह फिर एक बार तमाम सस्थाए महिला दिवस के उपलक्ष मे नारी को खुब ऊचॉ उठाऐगी। इसमे हम और हमारा समाज इतनी उचॉई पा जायेगे कि फिर हमे निचे जमीन पर दि वक्त कि रोटी के लिये जिस्म तक बेचने को मजबुर नारी नही दिखाई देगी। अतः मे मेरा एक सवाल महिला दिवस के बाद बेटे कि अन्धी चाहत मे सोनोग्राफी कर कन्या भ्रूण-हत्या करने वाले माता पिता कि सख्या थोडी ही सही पर क्या कम हो जायेगी?

[वोंदेर्लंद अग्रेजी ब्लॉग की मालकिन Sveta जो सोवियत रुश की है ने वुमन डे पर अच्छी - खासी जानकारी दे रही हैआप सभी लिंक पोस्ट पढ़ सकते है स्वेता ने बहुत ही अच्छी जानकारी दी है]
The very first International Women's Day was launched the following year by Clara Zetkin on 19 March (not 8 March)। The date was chosen because on 19 March in the year of the 1848 revolution, the Prussian king recognized for the first time the strength of the armed people and gave way before the threat of a proletarian uprising. Among the many promise he made, which he later failed to keep, was the introduction of votes for women.
In 1913 International Women's Day was transferred to 8 March and this day has remained the global date for International Wommen's Day ever since.
Men stayed at home with their children for a change, and their wives, the captive housewives, went to meetings.
During International Women's Year in 1975, IWD was given official recognition by the United Nations and was taken up by many governments. International Women's Day is marked by a national holiday in China, Armenia, Russia, Azerbaijan, Belarus, Bulgaria, Kazakhstan, Kyrgyzstan, Macedonia, Moldova, Mongolia, Tajikistan, Ukraine, Uzbekistan and Vietnam.

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