रैली से जुडने के लिये रैली, सभा-सम्मेलन,पदयात्रा से लेकर रथयात्रा तक सहारा लेनेवाले राजनेता अब ब्लोगेरिया के चपेट मे आने को आतुर लग रहे है। खास टारगेट यूथ वोटर है। नेता पर्सनल वेबसाईट और ब्लोगस के जरिये आम लोगो से जुडने कि कोशिश कर रहे है। इन्टरनेट की दुनिया का यह सफर सफल होगा या सिफ़र रहेंगा, फिलहाल कुछ भी कहना जल्दबाजी होगा।
कई दिग्गज राजनेता वेबसाईट और ब्लोगस के जरिए युवा वोटरो को लुभाने लगे है। श्री लालकृष्ण आडवाणी हो या फिर श्री मुरलीमनोहर जोशी, सोसल नेटवर्किग साईट पर श्री राहुल गान्धी का प्रोफाइल हो य फिर श्री ज्योतिरादित्य कि वेबसाइट, इन सभी को अब तक अच्छा रेसपोन्स नही मिल रहा है।नेताओ की इस पहल को जनता ने हाथो-हाथ नही लिया। जैसा ओबामा के मामले मे अमेरिका जनता ने लिया था।
श्री आडवाणी ने पिछले साल नवम्बर मे अपना ब्लोग शुरु किया था तब से अब तक छ: पोस्ट उनकि तरफ से किये गये। इन्टरनेट सेवी लोगो को या तो श्री आडवाणी कि बातो मे दिलचस्पी नही है या वे नेताओ से जुड नही पा रहे है। इसलिये एक पोस्ट पर ओंसतन १०० से १५० टिपणीयो से कभी अधिक नही आई।
जो कि उडन-तस्तरी के श्री समिरलाला के समकक्ष है।
श्री मुरलीमनोहर जोशी ने यह कहकर अपने ब्लोग को खास बनाने कि कोशिश की कि इस फोरम पर वह राजनिति की बात नही करेगे। उन्होने ब्लोग शुरु किया तो चुटकी भी ली कि लालु कि तरह मै अपना ब्लोग बन्द नही करुगा। बल्की लिखता रहुगा।
ब्लोग लिखने का काम श्री लालुप्रसाद यादव ने भी शुरु किया, लेकिन रंग नही जमा पाए।
जम्मु कश्मीर के मुख्यमन्त्री श्री उमर अबदुल्ला ने बडे जोश के साथ अपना ब्लोग शुरु तो किया अमरनाथ मुद्दे पर जब लोगो ने उनकि आलोचना कि तो उन्होने अपना ब्लोगिग सफर को अलविदा कर दिया।
अपनी आखिरी ब्लोग मे उन्होने ने लिखा "हमारे पास कुछ असहिष्णु लोगो का समूह है। हम चाहते है कि दूसरे हमे सुने, लेकिन दूसरो को सुनने का धीरज हममे नही है। हम खुद तो राय रखना चाहते है लेकिन यह नही स्वीकार करना चाहते कि किसी और को भी यह हक है।"
असल इन्टरनेट/ ब्लोग दुतरफा मीडियम है। इस विशाल प्लेटफॉर्म का असली मजा ही दुतरफा कम्यूनिकेशन है। लेकिन हमारे यहॉ नेताओ ने इसे इकतरफा मीडियम ही बना रखा है। मसलन राहुल गान्धी टेक्नोलॉजी के माध्यम से युवाओ को जोडने मे कामियाब नही हो पाए। उनका प्रोफाइल सोशल नेटवर्किग साइट पर है जरुर, लेकिन इन्टरनेट यूजर्स को वह कभी ऑनलाईन मिलते ही नही।
ओबामा से जहॉ ऑनलाइन करीब ३० लाख लोग जुडे थे वहॉ राहुल के प्रोफाईल से १०० से कम लोग जुडे है।
काग्रेसी सासद सचिन पायलट और मिलिन्द देवडा भी सोशल साइट पर है।
वैसे भाजपा नेता शाह नवाज हुसैन इन्टरनेट के जरीए लोगोसे जुडने कि कोशिस से खासे खुश है और लोगो के रेस्पान्स से सन्तुष्ट है। शाह नवाज हुसैन के मुताबिक , उन्हे अपनी वेबसाईट पर चार दिन मे ५६०० मेल मिले, जो अपने आप मे बडी सख्या है।
देश मे करीब ४:५ करोड नेट यूजर्स है और उसमे ३६ फीसदी १८ से २३ साल के है। ये युवा वोटर २००९ के आम चुनावो मे अहम भुमिका निभाएगे। अमेरिका,कनाडा, फिनलैन्ड, इस्त्राइल, मलयेशिया,आदि देशो मे लम्बे समय से पॉलिटिकल ब्लोग राजनीतिक दिशा तय करने मे रोल निभाते रहे है। इस पर होने वाली सार्थक बहसे देश की राजनीति पर असर डालती रही है। इसेमे हमारे नेताओ ने इस तरफ रुजान दिखाया तो स्वागत योग्य है।
हमारे देश मे इन्टरनेट कि पहुच पश्चिम के मुकाबले कम है। अमेरिका चुनावो मे इन्टरनेट का इस्तेमाल फण्डिग के लिये किया गया। ओबामा को कुल ६०० मिलयन डॉलर फण्ड मे से करीब २०० मिलयन डॉलर ओनलाइन से ही मिले।
भारत मे वेबसाइट या ब्लोग का असली मकसद नेताओ तक लोगो कि पहुच को आसान बनाना है।
लेकिन जिस तरह नेताओ तक पहुचना आसान नही है, उसी तरह वेबसाइट या ब्लोग भी इकतरफा मिडियम बनकर रह गए है। यानी नेता जो चाहे, सन्देश दे सकते लेकिन जब लोग उन्हे ऑनलाइन मेसेज भेजते है तो अक्सर जवाब नही मिलता । वेबसाइट पर फिडबैक या डिस्कशन फोरम के जो लिन्क दिए गये है, वहॉ क्लिक करना भर नेताओ तक अपनी बात पहुचाने कि गारन्टी नही है। ज्यादातर नेताओ कि वेबसाइटे कम्प्नीयो द्वारा सचालित बताई जाती है। राजनेता कभी कभार समय मिलने पर देखते है और गिने चुने जवाब देते है। ऐसे मे लोग मेल क्यो भेजेगे? दोनो तरह प्रोपर कम्युनिकेशन हो तो असली फायदा होगा। वोटर और नेताओ के बीच ऑनलाइन बॉन्डिग होना चाहिये क्यो कि जब लोग मेल भेजते है तो उन्हे जवाब कि उमीद होती है और ऐसा न होने पर वे निराश हो जाते है। अगर नेताओ ने इसे हल्के मे लिया तो वोटर कि नारजगी उन्हे दिन मे तारे दिखा सकते है, इसलिये सोचसमझ के ही इस ब्लोगेरिया जिवन मे प्रवेश करे।
लेख नव भारत टाईम्स
प्रस्तुती हे प्रभु
सभी चित्रो को बडा करने के लिये ऊपर चटका लगाये
नेताओ को ब्लोगरी मुबारक. लेकिन यदि यह 2009 का चुनाव जीतने के लिये है तो कम से कम हिन्दी चिट्ठाजगत मं इसका असर जीरो होगा.
हां यदि अंग्रेजी में वे पाठक "पकडने" की कोशिश कर रहे हों तो इस मामले में दक्ष दोचार लोगों को इस कार्य में लगा दें तो फल हो सकता है -- बशर्ते ये लोग दिनरात लगे रहें.
ब्लाग कोई जादूनगरी नहीं है जहां खुल जा सिम सिम काम कर सके!!
सस्नेह -- शास्त्री
-- हर वैचारिक क्राति की नीव है लेखन, विचारों का आदानप्रदान, एवं सोचने के लिये प्रोत्साहन. हिन्दीजगत में एक सकारात्मक वैचारिक क्राति की जरूरत है.
महज 10 साल में हिन्दी चिट्ठे यह कार्य कर सकते हैं. अत: नियमित रूप से लिखते रहें, एवं टिपिया कर साथियों को प्रोत्साहित करते रहें. (सारथी: http://www.Sarathi.info)
ab kya netaji blog ke jariye vote maangenge?? ji haa.. umar jo hui hai, har jagah ab kaise bhatkenge? aur wasie hbi blog ke jariye khud ko kuch hi-tec dikhake vote bank bharni hai?? sawal kafi uthete hai mann mai kintu jawaab to hum sab jante hai.
कोई लाख करे चतुराई........लेकिन ब्लागर इस झांसे में आने वाले नहीं
toh aakhir unhe pata chal gaya ki aajkal jyaada sankhya main log internet ka use karte hain..aur isse unhe bhi faayda hua na..unhe har jagah nahi jaana padega vote maangne.. :D
Aur neta toh neta hi rahenge..blog banane ka yeh vichaar toh bada acha kiya..par logo ko bhi pata hai..aur ve unke is chapet main aane se rahe..
YEH NETAJI BHI BINA AKKAL KE GHAAS CHARNE AAYE HAI BLOGISTAAN MAIN..UNKO PATA NAHI HINDUSTAAN KI 80%
JANTA GAAON MAIN REHTI HAIN..JAHA PAANI NAHI..BIJLI BHI NAHI..VAHA KYA KHAAK NET HOGA??!!! AUR UNKI BHAASHA KOUN SAMJHEGA??!!
HINDUSTAAN MAIN VICHAARO SE NAHI KARMO SE VOTE MILENGE..ITNI SI BAAT UNHE NAHI PATA AUR CHALE NETA BANNE ...SIRF BLOG LIKHNE SE AUR CHAND LOGO SE SAMPARK KARNE SE AAPKO JEET NAHI MILEGI..
नेताओं को पहले लोगों के बीच अपनी जगह बनानी होगी तभी चाहे ब्लोग हो या कहीं और उन्हें रिस्पांस मिल पायेगा।
Raj Bhatia
to me
show details 2:55 AM (22 hours ago)
Reply
महावीर जी आप के ब्लांग पर १ मिंट से ज्यादा नही रुक सकते? मै दो बार गया हर बार चेतावनी आती है, ओर ओ के करते है ब्लांग से बाहर, लेकिन आप का संदेश मेल से पढ लिया, चित्र तो आये नही, लेकिन आप का लेख बहुत पसंद आया, अब लोग तो ब्लांग पर सही ओर सच्ची बाते ही पुछेगे, जब की इन नेता की पिछली दो पीडीयो सेर शायद किसी ने सच ही नही बोला, तो यह क्या जबाब देगे? इस लिये यह भाग जाते है, वेसे अच्छी बात है अगर यह नेता अपना ब्लांग बनाते है ओर ओन लाईन रहते है तो जनता को लाभ पहुचेगां कि इन नेताओ को सही पहचान सके.
धन्यवाद
@Raj Bhatia-" हे प्रभु यह तेरा-पथ ब्लांग पर, १ मिंट से ज्यादा नही रुक सकते? मै दो बार गया हर बार चेतावनी आती है, ओर ओ के करते है ब्लांग से बाहर,।
राजसर! मुझे समझाये कि इसको कैसे ठिक करु? अगर किसी भी ब्लोगर भाई को समस्या का हल पत्ता हो तो मुझे साहयता करे।
कठिनाई के लिये खेद है।