आज राजनिति मे पैसा फैक कर देखिये हर नाप का नेता मिलेगा !
आज सारी दुनिया मे पैसे को लेकर हाय-हाय मची है। जब से पैसो का अविष्कार हुआ है उसका महत्व बढता ही गया। अब तो पैसा कमाना ही जिन्दगी बन गया है। चोरी करो, डाका डालो, झुठ बोलो, धोखा दो, कुछ भी करो ,पर पैसा कमाओ। जिसमे पैसा नही वह काम नही करना चाहिये। आर्थिक उदारिकरण का सबसे बडा प्रभाव यही हुआ है। अब हर चीज का मुल्य पैसे मे है। आटे कि किमत पैसे मे / दाल की कीमत पैसे मे /
नमक की कीमत पैसे मे / नमकहलाली की कीमत पैसे मे / नमकहरामी की कीमत पैसे।
अगर नमकहलाली की कीमत भी पैसा है और नमकहरामी की कीमत भी पैसा है, तो नमकहलाल और नमकहराम मे फर्क क्या हुआ है ?
फर्क है सिर्फ पैसा। पैसा कम हो जाये तो हलाल को हराम होने मे देर नही लगती । विश्वास से बडा है पैसा।
पैसा कमाओ बाप! और देश सेवा किया है ? देश सेवा गई तेल लेने! देश की सेवा ही क्या है,आज तो हमारे देश मे हर सेवा तेल लेने भेज दि गई है। क्यो कि पैसा देश से बडा / पैसा देश भक्त से बडा,
पैसा इन्शान से बडा / पैसा समाज से बडा / पैसा ज्ञान से बडा / पैसा विवेक से बडा / अगर यहॉ कोई चीज न गिनाई गई हो तो आप देख लिजियेगा।, पैसा उससे भी बडा निकलेगा।प्रेम भाईसारा इन्शानियत,सभी बेकार है।जो भी चीज घन्घा नही वो बेकार है।
अच्छा हुआ हम १९४७ मे मे आजाद हो गये। अगर स्वतन्त्रता सन्ग्राम आज हुआ होता तो धन्धे की तरह हुआ होता । आन्दोलन करने के पहले नेता हिसाब लगाते-धरना देने मे कितने पैसे ? जेल जाने के कितने ? जनरल डायर को गोली मारने के कितने ? और फॉसी चढने के कितने? क्या आप हिसाब लगा सकते है क्रान्ति का बिगुल बजाने के लिये कितना पैसा मिलना चाहीये। अगर स्वतन्त्रता सन्ग्राम भी घन्धा बन जाता तो हमारे नेता
आजाद हिन्द डिपार्टमेन्टल स्टोर खोल लेते। वैसे जो आजादि मिलने के पहले नही खुला, वह मिलने के बाद खुल गया।आज राजनिति मे पैसा फैक कर देखिये हर नाप का नेता मिलेगा। आपको पता है जैसे गधे घोडो का बाजार लगता है वैसे ही क्रिकेटरो का बजार लगता है ,उनकी बोली लगती है और वो पैसो मे बिक जाते है खरीदने वालो के गुलाम बन जाते है।
लोग कहते है कि पैसा हाथ का मैल होता है । जानते है इसका असली मतलब क्या होता है- जिसके पास ज्याद पैसे, उसके हाथ ज्यादा मैले। पैसा जरुरत से ज्यादा होता है तो ऐयाशी के काम आता है। रिश्वत खिलाने के काम आता है।सुपारी देने के काम आता है।शिक्षा को नष्ट करने मे काम आता है। पैसे से रोटी मिलेगी उसकी कोई गारन्टी नही, पैसे से भुख नही मिटती। लेकिन मजे कि बात देखो पैसे कि सबसे ज्यादा भुख उन्ही लोगो को है जो भुख से मर नही रहे होते।
गरीब "रुपलो" पैसे वाला बनते ही सेठ रुपचन्दजी हो गया,- देखा ! पैसे मे कितनी ताकत
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वाह्! बहुत बढिया 'माया पुराण' लिखा है.
माया महा ठगनी हम जानी।।
तिरगुन फांस लिए कर डोले
बोले मधुरे बानी।।
केसव के कमला वे बैठी
शिव के भवन भवानी।।
पंडा के मूरत वे बैठीं
तीरथ में भई पानी।।
योगी के योगन वे बैठी
राजा के घर रानी।।
काहू के हीरा वे बैठी
काहू के कौड़ी कानी।।
भगतन की भगतिन वे बैठी
बृह्मा के बृह्माणी।।
कहे कबीर सुनो भई साधो
यह सब अकथ कहानी।।
'जिसके पास ज्याद पैसे, उसके हाथ ज्यादा मैले।' - सही बात.
चित्र भी सटीक है.
अरे जनाब आप ने तो सच लिख दिया है, अज का सच.
धन्यवाद
बिल्कुल सही लिखा....आज की हकीकत यही है।
सही कहा आपने.. आज का आईना यही है..
आप ने इस आलेख में एक जबर्दस्त सच को उजागर किया है. इस तरह से समाज-सुधार को प्रेरित करने वाले आलेख आपकी कलम से आते रहें यही कामना है
सस्नेह -- शास्त्री
-- हर वैचारिक क्राति की नीव है लेखन, विचारों का आदानप्रदान, एवं सोचने के लिये प्रोत्साहन. हिन्दीजगत में एक सकारात्मक वैचारिक क्राति की जरूरत है.
महज 10 साल में हिन्दी चिट्ठे यह कार्य कर सकते हैं. अत: नियमित रूप से लिखते रहें, एवं टिपिया कर साथियों को प्रोत्साहित करते रहें. (सारथी: http://www.Sarathi.info)
बहुत सटीक बात कही आपने. रामराम.
aapne bilkul sahi baat likhi hai..aur paiso ke mamle main bhi madat ki hai..thanx
आपने पैसे के नाम पर बहुत बडा डोज दे डाला है। पर यहभी सत्य है कि पैसे कि बिन जग सुना।
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