

वैसे ये छुआछुतिया रोग हमे हमारे गुरुओं आ. समीरलालजी और डा.अमरकुमार जी ने दिया है, इसमे खाद पानी देने का काम आ. ज्ञानदत्त जी पांडे, फ़ुरसतिया जी, अरविंद मिश्रा जी, राज भाटियाजी...इनहोने किया है. कभी मैं पकडा जाऊं तो ये नाम आपतो बता देना. :)"
हे प्रभु- " ताऊजी ! आपको लोग ताऊ इसीलिये कहते कि आपमे ब्लोग्गेरिया के लक्षण आम चिट्ठाकारो से अधिक पाये गये है। ताऊ! आज मै आपकी मदद नही कर सकता हु क्यो कि मामला अब मेरी श्रीमती के हाथ मे है, कही ताई ने श्रीमतियो के आन्दोलन पर नजर डाल दि तो आपका बचना मुश्किल है। मै भी नही बच पाया। आप तो अभी से सुधर जाओ ताऊजी! नही तो ताई कि बेलन का सामना करने को तैयार हो जाओ। मेरी सलाह मानो ताऊ तो अपना तो वो ही गाये भैसियो को चराने का काम वापिस शुरु कर दो। आपकी और हमारी भालाई ईसीमे है नही तो फिर घर पर बर्तन माझने पडेगे । मैने तो शुरु कर ही दिये है।
ज्ञानदत्त जी पांडे, फ़ुरसतिया जी, अरविंद मिश्रा जी, राज भाटियाजी...समीरलालजी और डा.अमरकुमार जी पहले से ही ब्लोगेरिया बिमारे के जन्मदातओ की लिस्ट मे मोस्टवान्टेड है। (आपसे क्षमा मागता हू, मजाक के लिये। मेरे लेख के मुख्यपात्र बनने के लिये मे आपका आभार प्रकट कर रहा हु आपके सम्माननिय व्यक्तित्व के लिये ) "

हे प्रभु- "Udan Tashtari- जी से मै बात कर रहा हु।शुक्रिया जी!ताऊ और शास्त्रीजी कि जॉस कि रिपोर्ट तो आने दो । उनकी डॉक्टरी जॉस मे ब्लोगेरिया के लक्षण कितनी मात्रा मे पाये जाते है उसके बाद ही वैक्सिन बताउगा जी !उपेनजी!पेसेन्ट लिस्ट मे ज्ञानजी का नाम तो है सरकार ! फुरसतियाजी तो खुद भागे भागे फिर रहे है आप भरोसा रखे डाक्टरो कि टीम जल्दी ही उन्हे पकडकर जॉस के बाद इस लिस्ट मे डाल देगी। इन्फेकसन वाली बात भी मजेदार लगी।"

. I have left Kochi and I am on holidays for 10 days to get medical attention for my Blogoria
. I spend the days in old palaces and forts with a camera so that my blogoria is cured.
. You will know soon about my health condition।
हे प्रभु- "गुरुजी> आपको कर्नाटक मे भी चैन नही। सम्भवत आपसे रहा नही गया और आस पडोस मे पहुच गये ब्लोगेरिया पिडित लोगो का हालचाल देखने ? गुरुजी, इलाज लेने आप अकेले कर्नाटक पहुच गये, आपके शिष्यो का ख्याल नही आया ? मुझे भुल गये वो ठिक है,
आपके प्यारे शिष्य बचारे ई गुरु राजीवजी को तो यह सुन सदमा ही बैढ जायेगा कि शास्त्रीजी ब्लोगेरिया का ईलाज लेने अकेले ही चल पडे, हम शिष्यो को मझधार मे छोड।
चलो कोई बात नही, एक गुणी शिष्य कि भॉति मगलकामना करता हू,आप वहॉ से लोटे तो ब्लोगेरियॉ से मुक्ति पाकर लोटे। आपकी यह यात्रा यादगार बने, स्वास्थयप्रद बने, घर परिवार मे खुशीयॉ लाये यही मेरी ईश्वर से प्रार्थना है।
हॉ गुरुदेव, एक बात समझना चाहता हु आपने कर्नाटक लिखा और ताऊ भी इन्ह दिनो अपनी गाय भैसो के साथ वहॉ घुमते पाये गये है क्या कोई बडी रणनिति बनारहे इस ब्लोगेरिया से निपटने के लिये ?"

हे प्रभु- " शिव! यानी भागवान शिव! आप तो त्रिलोकिनाथ हो! आप सब जानते हो ! फिर भी अनजान बनने का कारण समझ नही आया प्रभु? प्रभु इस रोग{ब्लोगेरिया}के दो प्रमुख जन्मदाता (शास्त्रीजी ताऊजी) कर्नाटका गये है इलाज का शोध करने, पहले अपने उपर शोध करेगे, इलाज फिट बैठ गया तो आम जनता के लिये खोल दिया जायेगा। चोपड़ा साहब भी कोशिस कर रहे है। आपका यहॉ आना ही हमारे लिये गोरव कि बात है।

हे प्रभु- "आपने समय निकाल कर मुझे सराहा, ईसलिये आप सबका आभार। Mired Mirage- जी के लिये मेरा प्यारा जवाब-:(मै भी मेरी पत्नि से यही कहता रहता हु कि मुझे ब्लोगेरिया नही हुआ, किन्तु वो कहती है " हर बिमार व्यक्ति ऐसी बात करके अपने आपको को झुठी दिलासा देता है। थैन्क गोड! आप ब्लोगेरिया से पिडित नही है।}

हे प्रभु- " राजीवजी, मेरे भगवन! क्या अब घरवाली से पिटवाओगे ? नया ब्लोग बनाने का मतलब मेरी श्रीमतीजी मुझे घर से बैधर कर देगी। क्षमा करे गुरुदेव।

हे प्रभु- " बेंगाणीजी! अब तक तो यह लाइलाज है, शायद इस लेख कि आखरी कडी मे स्वास्थता एवम ब्लोगरो के पक्ष कि बात भी जोड पाऊगा। शुक्रिया।

हे प्रभु- "सरजी ! मै अपने आपको ब्लोगेरिया से बचा न पाये इसका मुझे मलाल जरुर है, पर आप बुजुर्गो कि दि विरासत मे कुछ नेक काम करने कि प्रबल ईच्छा रखता हु आप जुने पुराने ब्लोगेरिया-ब्लोग जन्मदाताओ कि इस विरासत को अच्छे स्वास्थय के रुप मे सजोना चाहता हु आपका सहयोग हुआ तो हम सभी सफल होगे।"

हे प्रभु- "भाई, मै तो इस बिमारी का जनक आपको(आपके साथ और भी कुछ महानुभवो) ही मानता हु। ना आप लोगो को शक्कर वाली कॉफी पिलाते ना ही लोग इस महामारी के शिकार कम होते । आपके ढेले पर आकर आधा कप कॉफी पिने कि खवाहीस मे हमने भी अपनी ब्लोगिऐ कि दुकान खोल दी, और जकडलिये गये महामारी के जाल मे। अब नैया भी आप ही पार लगा सकतेहै।
ढेले पर कॉफी का प्रोडेक्सन बडाकर एक साथ सभी चिट्ठाकारो को कॉफी पिलाकर मोकला किजिये ताकि लोग काम-धन्धे पर लगे।आपका भी अभिवादन स्वीकार्य हेतु।

हे प्रभु- "सीमाजी। आपने ब्लोगेरिया होने कि बात स्वीकार की,आपकि इमानदारी पर मै गर्व करता हु। आपकि तरह जिन्होने भी कमेन्ट से इस बात को स्वीकारा वो इमानदार है ब्लोग लिखने वालो के स्वस्थय,परिवार एवम रोजगार को लेकर॥ पर बहुत लोग ईस कतार मे लगने से शर्म महसुस करते है ऐसी बात नही है कि मेरे चिट्ठे मे जिनका नाम लिखा वो ही ब्लोगेरिया से पिडित है वो सभी लोगहै. जो उसके लक्षणो को धारण करते है। यह सम्भव नही था ५००० ब्लोगेरियाओ को आलेख मे सम्मिलित करना । इसके लिये क्षमा करे॥

हे प्रभु- "अरविन्दजी, यार आपको तो लेख कि अतिम कडी के समापान समारोह मे बुलाने वाला हु। सुटकेस तैयार रखे। (३ भाग मे)



हे प्रभु- "ने कहा-"सुब्रमनियम साहब और विनिताजी चिन्ता नही करे डॉ प्रवीणजी चोपडा साहब ने भरोसा दिलाया है कि इसका इलाज ढुढकर भेजने वाले है

हे प्रभु- "कविताजी!- आपको अन्दर कि बात बता रहा हु यह वैद्यिकी मिने सीखी नही है मेरी श्रीमतीजी ने एक दिन तग आकार कहा "तुम्हे ब्लोगेरिया हो गया है मुझे डाक्टर कि जरुरत है ।" बस यहॉ से मुझे नया विषय मिला लिखने के लिये।

हे प्रभु- "भगतजी सहमति के लिये आपका अभिवादन।

हे प्रभु- "रजनाजी! आप खुश मत होईये! दुसरी और तीसरी लिस्ट का ईन्तजार तो करिये। शायद आपका नाम ईस रोग के जन्मदाताओ मे हो ?

हे प्रभु- "ममताजी ! "बढ़िया और एकदम मस्त"- इस तरह लिखना भी ब्लोगेरिया रोग के लक्षण है। कृपया अपने स्वास्थय के प्रती ध्यान दे। शुक्रिया।।

हे प्रभु- "शर्मासाहब! चिन्ता नही चिन्तन कि जरुरत है। अब तक तो ब्लोग लिखना नशा है पर इसके खराब पहलुओ से भविष्य मे आने वाली दिक्कतो को भी समझना पडेगा।

हे प्रभु- "PD जी, आप कैसे खुस हो लिये ? PD का मतलब ही होता है "पीडीत डाक्टर" आप भी दुसरी तीसरी लिस्ट का ईन्तजार करे मेरे ब्लोगदादा।

हे प्रभु- "यह गलत फहमी कैसे हो गई अमितजी ? क्या जिसका नाम छपा वो ही ब्लोगेरिया से पिडीत है ?

हे प्रभु- "सिमाजी! आपका इस भीड से बचना मुश्किल था। हर कोई लिखना चाहता है, अपनी बात लोगो मै बॉटना चाहता है। ब्लोग लिखना खत लिखने जैसा है। पर जब लोग नाम शोहरत के चक्कर मे, एक दुसरे से आगे निकलने कि लालसा मे इस ब्लोगिग-ब्लोगिग खेल ने अपने आपको परिवारो कि नजर मे रोगि बना दिया। लक्षण जरुरत के मुताबिक भिन्न-भिन्न हो सकते है पर तकलिफदेह है। शायद हम लोग इसके इतने आदि हो गये है कि एक दिन नेट पर नही बैठे तो लगता है शरीर का कोई अग विलुप्त है,ऐसे मे हम सभी इसे रोग तो मानते है पर इमानदारी से कोई यह नही लिखता कि आज से मे सिर्फ सप्ताह मे एक ही दिन यह कार्य करुगा या और कोई प्रतिज्ञा ।
सिमाजी, इलाज भी स्वय को आवश्यकता अनुशार करना ही पडेगा।

हे प्रभु- "सजयजी! यह हम सभी की वास्तविकता को दर्शाता है। सोच पैदा होती है अपनी आस-पास की घटनाओ से । उदारहणतः आप की उम्र है २० वर्ष । आप हिन्दुस्थान का दर्द चिट्ठे के मोर्डररेटर है। ईतनी छोटी अवस्था मे आपका ज्यादातर समय ब्लोग को चलाने की सोच मे व्यतीत होता होगा। रास्ते मे चलते च्लते भी आप अपने ब्लोग पर घटीत घटनाओ के बारे मे सोचेगे। एनकेन प्रकार से आपको इस क्षेत्र मे प्रसिध्दि पाने कि ईच्छा को जागृत करती हुई भावना हिलोरे खाती है। कोई भी आवश्यक कार्य हो आप या हम सभी उसे जल्दी से जल्दी निपटा कर कम्पीयूटर-नेट पर पहुचने कि फिराक मे रहते है। यह एक तरह का नशा बन जाता है जो हमारे हमारे भविष्य को चोट पहुचा रहा है। जबकी हमारी व हमारे परिवार कि इस समय जरुरत से भिन्न कार्य्र है, यह ब्लोग लिखना। यह अभी तय नही हुआ है कि ब्लोग लिखनेवाले व्यक्ती कोन हो सकता है ? या इस क्षेत्र मे उतरेने मे कोनसी गाईड लाईन को पुरा करता है।
हालही के वर्षो मे ब्लोग कि अवधारणा के मुल उदेश्य ही दर किनारे हो गये है। मेरा मानना है कि डायरी लिखना,ब्लोग उसका आधुनिक रुप है। पुराने समय मे मात्मा गान्धी, जिन्ना, डॉ राजेन्र्द प्रसादजी, नेहरुजी, ईन्दराजी, सहित कई हस्तिया थी जो अपने जीवनचर्या को अपनी डायरी मे लिखते थे। हॉलाकी यह देन भी अग्रेजो द्वारा प्रदत थी। सचार -क्रान्ती, ब्लोग की जन्म का कारण बनी। अमिरो,एवम बडे लोगो के चोचले थे डायरी लिखना।
आन्मा- कथाओ, का लिखने का चलन पुराना है। ब्लोग ऐसी ही एक डायरी है जहॉ आम गरीब व्यक्ती भी अपनी आत्म-कथा लिखकर सन्तुष्टी को प्राप्त करे।
कहना अर्थ है अपने जिवन के खट्टे-मिठ्ठे अनुभवो को अपने स्वय के लिये लिखना। या सजोना । अब इसके स्वरुप और मकसद मे भारी बदलाव दिख रहा है।
मेरी यह बात इस लिये पुखता बनती है कि सबसे पहले बुधवार, अप्रैल 23, 2003 09:58 नौ दो ग्यारह नामक एक ब्लोग आलोक जी ने लिखा था । पोस्ट का स्वरुप लघु होता था, अपने तक समित होता था।
भुतकाल और वर्तमान काल के चिठ्ठो मे अन्तर के साथ साथ मकसद साफ दिखाई देगा।
आलोक जी ने उसमे क्या लिखा देखे-:
१ "नमस्ते।
अब तो मुझे चस्का लग चुका है लिखने का। अभी बजे हैं 9:30, देखते हैं अब कितनी देर लगेगी।
कल के लेख में कई जगह ब की जगह व छप गया था, क्योंकि व वाली कुञ्जी बी की है और मुझे उसीकी आदत थी।
ब्राउज़र में जब पढ़ते हैं तो ऊपर नीचे वाली पङ्क्तियाँ एक दूसरे से लड़ जाती हैं, ख़ासतौर पर मात्राओं वाली जगह पर। लेकिल नोटपॅड में ऐसा नहीं होता, यहाँ जगह काफ़ी छोड़ी हुई है।
क्योंकि चस्का लगा हुआ है, इसलिये लिख रहा हूँ। पर कितने दिन लगा रहेगा, वह पता नहीं।
कल ही मुझे पता चला कि रीडिफ़ के भी ब्लॉग हैं। लेकिन मुआफ़ करना, एक और ब्लॉग बनाने का माद्दा हममें नहीं है।
अरे इतनी जल्दी 9 2 11 होने का समय आ गया? 25 मिनट बीत चुके हैं लिखना शुरू किए। फ़िर मिलते हैं। "
२ शुक्रवार, नवंबर 28, 2003 00:04
समय आ गया है कि ब्लॉग्स्पॉट को अलविदा कही जाए, वैसे कोई शिकायत तो नहीं है यहाँ, । तो मिलते हें इस
नए पते पर।आलोक दà¥�वारा पà¥�रकाशित।
LinktoComments('106995807302689205')
href="http://enetation.co.uk//comments.php?user=alkuma&commentid=106995807302689205 ">Comment
३ सोमवार, नवंबर 24, 2003 11:02
ताज़ी ख़बर यह है कि विण्डोज़ का हिन्दी इण्टर्फ़ेस पॅक आ गया है, बल्कि 11 नवम्बर से आया पड़ा है। पर इसके लिए ऍक्स पी का सर्विस पॅक 1 चाहिए, या फिर होम ऍक्स पी चाहिए। तो कहीं से जुगाड़ा जाए।आलोक दà¥�वारा पà¥�रकाशित।
LinktoComments('106965195512641508')
href="http://enetation.co.uk//comments.php?user=alkuma&commentid=106965195512641508 ">Comment
नोट-: (आपसे बात चित करने मे या जानकारीयो त्रृटी हुई हो तो मै सविनय क्षमा चाहुगा। चित्र एवम अन्य सुचना आपके चिट्ठो से एवम अन्य माध्यम से आपकि बिनासहमती से लिये गये है। मेरे उदेश्य को आप दृष्टी दे। और आपके सहयोग का आभार। यह पोस्ट लम्बी है सहन करने के लिये आभार । क्षमा भी कर देना।)
बढिया है :)
बढ़िया लिखा पर एक बात और है कही आप भी ब्लागेरिया रोग से पीड़ित हो गए है तभी अपने भाई लोगो की चर्चा कर रहे है . हा हा हा
हे प्रभु!!! इतनी मेहनत की आपने और बीमार दूसरो को बता रहे हैं ......बहुत शानदार तेज नजर रखे हैं आप सब पर ..बढ़िया है पर ..
हे प्रभु इतनी मेहनत की आपने और बीमार दूसरो को बता रहे हैं ......बहुत शानदार तेज नजर रखे हैं आप सब पर ..बढ़िया है पर ..
भाई महेन्द्रजी आप ने सही पहचाना। आपका शुक्रिया।
विवेकजी क्या बढीयॉ है ? ब्लोगेरिया? या ताऊ ?
ताऊ तो खैर बहुत नायाब केस है ब्लॉगरिया का. उसकी बिमारी तो छोडो, लोग तो उसे ही नहीं पहचान पा रहे हैं, दवा किसकी करें.
हमें तो खुद की बिमारी का इलाज तलाशने की अब जरुरत लगती ही नहीं..न रंग के लिए फेयर लवली की कोशिश, न तन के लिए मोटापा घटाने का प्रयास, न ब्लॉगरिया की दवा...सबके साथ समझौता करके जीवन काटे दे रहे हैं.
ऐसा ही लिखते रहें, मजेदारी बनी रहे. भाईचारा बढ़ता रहे..बहुत उम्दा प्रयास है. बधाई ले लो रोगी होने की. :)
वाह !
हे प्रभु, मुझे तो यह बीमारी 53 साल की उमर में हुई, और अब 55 तक तो कुछ नहीं बिगडा है. लेकिन इस चिट्ठे के मालिक का क्या होगा जो 40 साल की उमर में ब्लागेरिया के सारे ज्ञात एवं अज्ञात लक्षण दिखा रहा है. (अज्ञात लक्षण अज्ञात होने के कारण आप उनको पहचान नहीं सकते).
अब कर्नाटका यात्रा का सारांश देख लीजिये
1. ब्लागेरिया का सिर्फ एक ही "ज्ञात" इलाज है, और वह है इस बीमारी से पीडित व्यक्ति की धर्मपत्नी.
2. अत: मैं तो ताई और समीर जी के घर भाभी को सूचना देने जा रहा हूँ कि ये दोनों गये केस हैं, बचा सको तो बचा लो.
3. ज्ञान जी एवं उन्मुक्त को मुक्ति नहीं मिल सकती क्योंकि दोनों जगह भाभियों को भी यह रोग लग चुका है.
3. ताऊ जी एवं समीर जी का रोग जब हमारी भाभियां "झाड" देंगी तब भाटिया जी, डा अरविंद, एवं दिनेश जी की बारी आयगी.
4. फुरसतिया ने चर्चा कर कर के हम सब को फंसा दिया है अत: उनके इलाज की कोशिश करने वाले को चिट्ठा-द्रोह की सजा दिलवाई जायगी.
5. और हां, 40 साल की उमर में ही आपका ब्लागेरिया लगभग लाईलाज जो चुका है. डा चोपडा, ईगुरू राजीव आदि के भी लक्षण सही नहीं मालूम पडते.
6. सुब्रमनियन जी सेवानिवृत हो चुके हैं अत: उनको थोडाबहुत इस बीमारी का शौक करने दें.
अंत में: जब भाभियों को पता चलेगा, तब ताऊ जी और समीर जी का जो हाल होगा, तब मेरी खैर नहीं! अत: मैं इस बार वीरप्पन नुमा जंगलों में जा छुपूंगा.
लिखते रहे, हे ब्लागेरिया के खोजी डाक्टर !!
सस्नेह -- शास्त्री
आपकी पिछली पोस्ट भी आज ही पढ़ पाया। इन दिनों माघ-मेले की ड्यूटी और गंगा जी की कृपा ने यह बीमारी दूर भगा दी थी। अभी वहाँ से लौटकर आया तो इसके किटाणु ने मुझपर हमला बोल दिया लगता है। :)
खैर जिस बीमारी से बड़े-बड़े ग्रस्त होने के बावजूद उसी के नशे में डूबे हुए हैं उसका हल्का नशा हो भी जाय तो आनन्द ही दे रहा है। अभी खतरे की घण्टी बजने को है। अब हम सावधान हो लिए लेते हैं।
सुन्दर! बेहतरीन!! लिखते रहें बीमारी को जड़ पकड़ने दें।
हमारी बिमारी बहुत पूरानी हो चुकी है अतः अब इलाज सम्भव नहीं.
भाई आपके इस कथन पर हमको ऐतराज है कि आपकी श्रीमती जी ताई को बता देंगी तो हमारा भी बे्लन
सत्कार हो जायेगा.
उपरोक्त कथन पर हमको सख्त से भी ज्यादा सख्त ऐतरज है, ये हमारी कुटने पिटने की शक्ती को कम करके आंका गया है.
सारा ब्लाग जगत जानता है कि ताई हमारी पूजा पाठ बेलन से नही बल्की मेड-इन-जर्मन लठ्ठ से अक्सर हर तीसरे दिन करती ही रहती है.
तो बेलन से हम क्या डरेंगे. बेलन की मार तो हमारे लिये िंटी जितनी भी नही है.:)
आपने ताऊ की तौहीन की है. अरे भई जो आदमी लठ्ठों से पिटता हो उसे बेलन से पिटवाने की धमकी देना उसकी तौहीन करना ही तो है.
आप तुरन्त से पेश्तर क्षमा याचना करे वर्ना फ़ुरसतिया जी की चिठ्ठा-चर्चा कोर्ट मे आप पर मान-हानि का मुकदमा चलाया जायेगा.
दुसरे भाई मैं तो खुद नही जानता कि मैं कौन हूं. असली ताऊ कौन? मुझे भी नही पता. अब तक की आपकी टिपणियों मे भी कई टिपणिकार ताऊ
होने के शक के दायरे मे आते हैं. समीर जी सही कह रहे हैं कि ताऊ का पता चले तो उसका इलाज करवाओगे ना.:) तो आप ताऊ का पता लगायें और लग जाये तो सबको बतायें.
रामराम.
भाई आपके इस कथन पर हमको ऐतराज है कि आपकी श्रीमती जी ताई को बता देंगी तो हमारा भी बे्लन
सत्कार हो जायेगा.
उपरोक्त कथन पर हमको सख्त से भी ज्यादा सख्त ऐतरज है, ये हमारी कुटने पिटने की शक्ती को कम करके आंका गया है.
सारा ब्लाग जगत जानता है कि ताई हमारी पूजा पाठ बेलन से नही बल्की मेड-इन-जर्मन लठ्ठ से अक्सर हर तीसरे दिन करती ही रहती है.
तो बेलन से हम क्या डरेंगे. बेलन की मार तो हमारे लिये िंटी जितनी भी नही है.:)
आपने ताऊ की तौहीन की है. अरे भई जो आदमी लठ्ठों से पिटता हो उसे बेलन से पिटवाने की धमकी देना उसकी तौहीन करना ही तो है.
आप तुरन्त से पेश्तर क्षमा याचना करे वर्ना फ़ुरसतिया जी की चिठ्ठा-चर्चा कोर्ट मे आप पर मान-हानि का मुकदमा चलाया जायेगा.
दुसरे भाई मैं तो खुद नही जानता कि मैं कौन हूं. असली ताऊ कौन? मुझे भी नही पता. अब तक की आपकी टिपणियों मे भी कई टिपणिकार ताऊ
होने के शक के दायरे मे आते हैं. समीर जी सही कह रहे हैं कि ताऊ का पता चले तो उसका इलाज करवाओगे ना.:) तो आप ताऊ का पता लगायें और लग जाये तो सबको बतायें.
रामराम.
भाई अगर सरकारी खर्चे पर इस बीमारी का कोई इलाज संभव हो तो हमें जरूर बताना.
ताऊ कि शक्ल से, अब डर रहा ह-ताऊ,
ताई को लुटकर बेलन का डर छुपा रहा है-ताऊ,
ताऊ खाता लठमार, आदत का मारा है-ताऊ,
ताऊ ढुढ रहा समीरलाला को, ताई कि मार से बच रहा है-ताऊ,
ताऊ बैलन के डर से बेचारे शास्त्रीजी को फसा रहा है -ताऊ,
ताऊ मुझे धमका रहा है,ताई के बैलन कि मजाक उडा रहा है-ताऊ,
ताऊ बता रहा है हमशक्ल लाला को ताऊ,
ताऊ खेलता है आफिस मे ब्लोगिग ब्लिगिग, कर रहा है ऑख मिचोली ताई से-ताऊ,
ताऊ फुरसतियाजी कि कोर्ट से डरा रहा है मुह हमारा बन्द करवा रहा ह-ताऊ,
समझ कुछ आता नही क्या कर रहा है ताऊ।