आचार्य श्री महाप्रज्ञा क़ी आध्यात्मिक यात्रा

Posted: 11 मई 2010


90 वर्षीय महाप्रज्ञ के अंतिम दर्शन करने के लिए देशभर से बड़ी संख्या में उनके अनुयायी सरदार शहर पहुंचे। उनकी अंतिम यात्रा में करीब तीन घंटे का समय लगा। पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री डा. सीपी जोशी, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, प्रदेश के गृहमंत्री शांति धारीवाल, शिक्षा मंत्री भंवरलाल मेघवाल, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी, राज्यसभा सांसद ललित किशोर चतुर्वेदी, बीकानेर के सांसद अर्जुन मेघवाल सहित देशभर से कई राजनेता और बड़े उद्योगपति एवं सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि उनके अंतिम दर्शन करने सरदार शहर पहुंचे। गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी भी सरदार शहर आने वाले थे, लेकिन अचानक अन्य कहीं व्यस्त होने के कारण नहीं आ सके।


महाप्रज्ञ के विचारों से पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम बहुत प्रभावित थे और इसी कारण वे उनके अंतिम दर्शन करने पहुंचे। राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांघी , क़ी राज्यों के मुख्यमन्त्रियो एवं राज्यपालों सहित ,  पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, आरएसएस के पूर्व सर संघचालक केसी सुदर्शन, जागो पार्टी के अध्यक्ष दीपक मित्तल सहित अनेक गणमान्य हस्तियों ने संदेश भेजकर उनके निधन पर शोक जताया।



महाप्रज्ञ 25 अप्रेल को अपनी धवल सेना के साथ अंचल के विभिन्न स्थानों पर प्रवचन करते हुए आगामी चातुर्मास प्रवास के लिए पहुंचे थे। रविवार सुबह 9.55 बजे से 10.15 बजे तक उन्होंने श्रद्धालुओं के बीच प्रात:कालीन प्रवचन किया। दोपहर दो बजे सीने में दर्द की शिकायत पर राजकीय चिकित्सालय के डॉक्टरों की टीम मौके पर पहुंची और महाप्रज्ञ का उपचार शुरू किया, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका। आचार्य महाप्रज्ञ के उत्तराधिकारी युवाचार्य महाश्रमण ने दोपहर बाद तीन बजे आचार्य महाप्रज्ञ के देवलोक गमन की घोषणा की। महाप्रज्ञ के निर्वाण से तेरापंथ समाज स्तब्ध है। संत-मुनियों में भी शोक व्याप्त है।

अहिंसा यात्रा के प्रवर्तक
आचार्य को 3 फरवरी 1969 को तेरापंथ के युवाचार्य पद पर प्रतिष्ठित कर 1978 में महाप्रज्ञ के नाम से अलंकृत किया गया। प्रेक्षाध्यान के आविष्कारक और जीवन विज्ञान का अनूठा प्रयोग करने वाले आचार्य महाप्रज्ञ ने अहिंसा यात्रा के माध्यम से देश को एक नई दिशा दी। महाप्रज्ञ ने तीन सौ से अधिक पुस्तकें लिखी हैं। जैन योग एवं ध्यान परंपरा के पुनरूद्धारक के साथ जैन आगमों के भी वे संपादक रहे हैं।

विलंब से पहुंचे गहलोत व जोशी
श्रद्धांजलि सभा के समापन के ठीक पहले श्रीसमवसरण पहुंचे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व केन्द्रीय पंचायती राज मंत्री सी.पी. जोशी ने महाप्रज्ञ के अंतिम दर्शन किए और आचार्य महाश्रमण व साध्वी प्रमुखा से चर्चा की। गहलोत हेलीकॉप्टर से सरदारशहर पहुंचे।

आचार्य महाप्रज्ञ के देवलोक गमन पर राज्यपाल शिवराज पाटिल, सीएम गहलोत, विधानसभा अध्यक्ष दीपेन्द्र सिंह शेखावत तथा केन्द्रीय मंत्री सी.पी. जोशी, पूर्व मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे व भाजपा प्रदेशाध्यक्ष अरूण चतुर्वेदी ने संवेदना व्यक्त की है। सभी ने कहा है कि उनके योगदान को सदैव याद रखा जाएगा।

आचार्य महाप्रज्ञ का निधन, आडवाणी ने जताया शोक
महाप्रज्ञ के निधन पर भारतीय जनता पार्टी(बीजेपी) के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने शोक जताया है। आडवाणी ने अपने शोक संदेश में कहा है, ''आचार्य महाप्रज्ञ के अचानक निधन की खबर से मुझे और दुनिया के लाखों लोगों को धक्का लगा है।''

आडवाणी ने कहा, ''आचार्य महाप्रज्ञ एक अद्भुत विद्वान और अच्छे वक्ता थे। वह एक जाने-माने लेखक थे। उन्होंने दर्शन, साहित्य, योग और धर्म पर 150 पुस्तकें लिखी है।''

आडवाणी ने कहा, ''इस बात में कोई आश्चर्य नहीं कि कवि रामधारी सिंह दिनकर आचार्य महाप्रज्ञ को देश का दूसरा विवेकानंद कहते थे। उनके निधन से हमने एक महान साधक, मित्र, दार्शनिक और मार्गदर्शक खो दिया है। मैं इस महान आत्मा के प्रति अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।''


सदैव आशीर्वाद रहा- वसुंधरा राजे
"महाप्रज्ञ का आशीर्वाद सदैव मेरे साथ रहा। उन्होंने मेरे सिर पर हाथ रखा और रास्ता भी दिखाया। महाप्रज्ञ की अहिंसा यात्रा और अन्य कार्यक्रम सराहनीय हैं।"- वसुंधरा राजे, पूर्व मुख्यमंत्री एवं भाजपा राष्ट्रीय महासचिव

अतुल्य सागर महाराज ने जताया शोक
ऋष्ाभदेव। क्षुल्लक श्री 105 अतुल्य सागर महाराज ने आचार्य महाप्रज्ञ के देवलोकगमन पर गहरा शोक व्यक्त किया तथा उनकी आत्मा कि शांति के लिए 2 मिनिट मौन रखा। गुरूकुल परिवार और श्रीफल परिवार ने भी शोक जताया है।

आचार्य महाप्रज्ञ के महाप्रयाण पर जताई संवेदना
आचार्य महाप्रज्ञ के महाप्रयाण पर आर्यिका सुपाश्र्वमति माताजी ने कहा, 'आचार्य महाप्रज्ञ के महाप्रयाण से समाज ने एक युगदृष्टा संत को खोया है। वे विद्वान होने के साथ बेहद विनम्र थे।' अखिल भारतीय दिगंबर जैन जागृति परिषद के अध्यक्ष राजेंद्र सेठी और महामंत्री मानचंद खंडेला ने महाप्रज्ञ के महाप्रयाण को मानव समाज के लिए अपूरणीय क्षति बताया है।

सर्व वैश्य आरक्षण संघर्ष समिति के प्रदेशाध्यक्ष सुनील लोढा के मुताबिक, 'आचार्य महाप्रज्ञ ने मानव समाज को आध्यात्म से राष्ट्रोत्थान का मार्ग दिखाया।' जयपुर शहर जिला कांग्रेस कमेटी की उपाध्यक्ष रमा बजाज ने आचार्य महाप्रज्ञ के देवलोक गमन पर शोक जताते हुए श्रद्धांजलि व्यक्त की है।

राजस्थान पत्रिका के सम्पादक गुलाब कोठरी  ने आचर्य महाप्रज्ञा जी के पार्थिव सरीर के दर्शन करने पहुचे. एवं यात्रा मै शामिल हुए.

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दुनिया भर के जैन तेरापंथ प्रतिष्ठान बंद रहे
आचार्य महाप्रज्ञजी के शोक में दुनिया भर के जैन तेरापंथ प्रतिष्ठान रविवार कों बंद रहे!  होंकोंग , रसिया , अमेरिका, ब्रिटेन, चीन, नेपाल , ईराक सहित पुरे भूभाग में आचार्य श्री के श्रावको ने अपने गुरु के लिए घ्यान किया व् श्रदांजली अर्पित कि !


महाश्रमण बने धर्मसंघ के 11वें आचार्य


महाप्रज्ञ के बाद अब युवाचार्य महाश्रमण को धर्मसंघ के 11वे आचार्य का दायित्व सौंपा गया है। वयोवृद्ध मुनि बालचंद नेवंदना के साथ उन्हें यह दायित्व सौंपा। 11वें आचार्य का दायिžव सम्भालने वाले आचार्य महाश्रमण मुदित कुमार का जन्म तेरापंथ की राजधानी चूरू जिले के सरदारशहर कस्बे में विक्रम संवत 2019 में हुआ। पिता डूंगरमल दूगड व माता नेमादेवी के घर जन्मे महाश्रमण को 28 वर्ष की आयु में 14 सितम्बर, 1997 को आचार्य महाप्रज्ञ ने गंगाशहर (बीकानेर) में तेरापंथ धर्म संघ के युवाचार्य के पद पर प्रतिष्ठित किया था और उन्होंने संवत 2031 में दीक्षा ली थी।
 
युवाचार्य श्री महाश्रमण


युवाचार्य श्री महाश्रमण मानवता के लिए समर्पित जैन तेरापंथ के उज्जवल भविष्य है। १३ मई १९६२, सरदारशहर (राजस्थान) में जन्में, सरदारशहर में ही ५ मई १९७४ को दीक्षित तथा प्राचीन गुरू परंपरा की श्रृंखला में आचार्य महाप्रज्ञ द्वारा अपने उतराधिकारी के रूप में मनोनीत युवाचार्य महाश्रमण विनम्रता की प्रतिमूर्ति है। अणुव्रत आंदोलन के प्रवर्तक आचार्य श्री तुलसी की उन्होंने अनन्य सेवा की। तुलसी-महाप्रज्ञ जैसे सक्षम महापुरूषों द्वारा वे तराछे गये है। १६ फरवरी १९८६, उदयपुर में महाप्रज्ञ के अंतरंग सहयोगी बने। १३ मई १९८६, ब्यावर में वे अग्रगण्य (ग्रुप लीडर) बने। वे अल्पभाषी है।

९ सितंबर १९८९ को महाश्रमण पद पर आरूढ़ एवं जन्ममात प्रतिभा के धनी युवाचार्य महाश्रमण अपने चिंतन को निर्णय व परिणाम तक पहुंचाने में बडे सिद्धहस्त हैं। उसी की फलश्रुति है कि उन्होंने आचार्य महाप्रज्ञ को उनकी जनकल्याणकारी प्रवृतियों के लिए युगप्रधान पद हेतु प्रस्तुत किया। महाश्रमण उम्र से युवा है, उनकी सोच गंभीर है युक्ति पैनी है, दृष्टि सूक्ष्म है, चिंतन प्रैढ़ है तथा वे कठोर परिश्रमि है। उनकी प्रवचन शैली दिल को छूने वाली है।


महाश्रमण को १४ सितंबर १९९७ को गंगाशहर में युवाचार्य के रूप में मनोनीत किया गया। युवाचार्य की प्रज्ञा एवं प्रशासनिक सूझबूझ बेजोड़ है। गौर वर्ण, आकर्षक मुखमंडल, सहज मुस्कान से परिपूर्ण बाह्म व्यक्तित्व एवं आंतरिक पवित्रता, विनम्रता, दृढ़ता, शालीनता व सहज जैसे गुणों से ओतः प्रोत युवाचार्य महाश्रमण से न केवल तेरपंथ अपितु पूरा धार्मिक जगत्‌ आशा भरी नजरों से निहार रहा है और उनकी महानता को स्वीकार कर रहा है।
 
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आचार्य महाप्रज्ञ का निधन अपूरणीय क्षति
आचार्यश्री पंचतत्व में विलीन,
आज होगा दसवें आचार्य महाप्रग का अंतिम संस्कार
आचार्य महाप्रज्ञ पंचतत्व में विलीन
आचार्य महाप्रज्ञ का अंतिम संस्कार
एक मानव भगवानरुपी व्यक्तित्व की छवि’ / हाफिज अली, मंत्री सुबोधकान्त सहाय की भी संवेदना

नोट  - आचार्य श्री महाप्रज्ञा क़ी ७९ वर्षो क़ी आध्याधिमिक यात्रा का विस्तृत लेखा अगले अंक में पढ़ पाएगे.
महावीर बी. सेमलानी

1 comments:

  1. Dr. Zakir Ali Rajnish 11 मई, 2010

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