एक युग कि समाप्ति : परम श्रेद्धय गुरुदेव आचार्य महाप्रज्ञजी का महाप्रयाण

Posted: 09 मई 2010

तेरापंथ जैन घर्म संघ के दशम आचार्य श्री  महाप्रज्ञजी का राजस्थान के एक कस्बे सरदारशहर में  आज दोपहर २ बजकर ५२ मिनट पर महाप्रयाण हो गया .. यह दुखद खबर सुनकर पूरा देश विस्मित है...आचार्य श्री महाप्रग्य के देवलोक होने के समाचार हवा से भी तेज गति से दुनिया भर में अपने करोड़ो -करोड़ो श्रावको के पास पहुचा  .....सभी इस ह्रदय विदारक घटना से विस्मित है... निर्भाव से अपने गुरु कि आराधना में लग गए है . प्राप्त समाचारों के मुताबिक़ आज आचार्य श्री ने चुरू जिले के सरदार शहर में सुबह का प्रवचन किया एवं दोपहर में अपने अनुयाइयो से मुलाकत कर रहे थे तभी उन्होंने अपने प्राण छोड़ मोक्ष कि और प्रस्थान कर दिया.

यह कितनी विरल घटना है कि ८० वर्ष पूर्व 
विक्रम सवत १९८७ माध शुक्ला दशमी को जैन धर्म के श्वेताम्बर तेरापन्थ सम्प्रादय के तत्कालीन आठवे आचार्य कालूगणी के पास मॉ-बेटा दोनो एक साथ, इसी गाव - राजस्थान के चूरु जिले के सरदारशहर ग्राम मे दीक्षितहुए थे और आज उसी स्थान पर देह का त्याग कर करोड़ो करोड़ो अनुयाईयो कों विस्मित कर दिया.
समाचार सुनते है देश एवं विदेश के कोने कोने से लोग आज सरदारशहर क़ी और कूच कर दिया है. मुंबई , चनई, कोलकता, से जयपुर एवं बीकानेर   के लिए विशेष हवाई जहाज से लोगो का आना  प्रारम्भ कर दिया है. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पहले ही वहा पहुच चुके है एवं कल दोपहर तीन बजे होने वाली शोभा यात्रा क़ी सुरक्षा व्यवस्था कों लेकर तत्पर है. देश पर से लोग एवं नेता  आचार्य महाप्रज्ञजी कों श्र्द्धन्जली अर्पित करने रवाना हो चुके है. अनुमान के मुताबिक़ कल दोपहर तीन बजे आचार्य महाप्रज्ञाजी का प्राथिव शरीर नये आचार्य श्री मुदित कुमार जी एवं साधू समाज  द्वारा श्रावको  कों सोप देंगे. एवं जनता के अतिम दर्शन हेतु रखा जाएगा. इस अंतिम यात्राओं में दो से ढाई लाख लोगो  के पहुचने के समाचार है. 


गुरुदेव आचार्य महाप्रज्ञ जी  के महाप्राण का समाचार सुन कर मुझे सदमा लगा है . यह दुखद समाचार है पुरे देश के लिए . देश ने एक महान दार्शनिक वैज्ञानिक  धार्मिक गुरु कों खो दिया है. शायद यह खालीपन हमे वर्षो वर्ष महसूस होगा! इस महान योगीपुरुष , कों भावभीनी वन्दन करते हुए श्रन्दान्जली  अर्पित करता हू. 


आचार्य महाप्रज्ञ

जन्मः- आषाड कृष्णा १३ सवत १९७७, टमकोर (राजस्थान)

दीक्षा:- विक्रम सवत १९८७ माध शुक्ल १०

महाप्रज्ञ अलकरण:- विक्रम सवत, २०३५ कार्तिक शुक्ल १३

आचार्य पद धोषणा :- विक्रम सवत, २००५, माध शुक्ल ७

आचार्यपदाअभिषेकः- विक्रम सवत, २०५१, माघ शुक्ला ६

3 comments:

  1. राज भाटिय़ा 09 मई, 2010

    बहुत सुंदर बाते कही आप ने धन्यवाद

  2. ताऊ रामपुरिया 09 मई, 2010

    ऐसी विभूतियां सदियों में पैदा होती हैं उनका जाना एक महा क्षति तो है ही पर उनकी देशनाएं मानवता के बहुत काम आती रहेगी.

    रामराम.

  3. संजय बेंगाणी 09 मई, 2010

    वे संस्कृत व प्राकृत भाषा के विद्वान थे. इस दृष्टि से भी यह भारी क्षति है. जैन दर्शन व धर्म ने एक विशेषज्ञ खो दिया है. ऐसे संत शताब्दियों में एक होते है.

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