सपने दुनिया मे बूढे बच्चे, मर्द, औरत सभी देखते है। कुछ सपने लोग जागती ऑखो से देखते है तो कुछ निन्द मे। कहते है कि मनुष्य सपने चेतन और अचेतन की बीच की अवस्था मे देखते है। प्रात: समय का सपना प्राय सच और सही माना गया है। डरावने सपने अधिकत्तर पेट की गडबडी और गैस बनने के कारण आते है। सपने ऐसे व्यक्ती को बताने चाहिए जो उसका सही-सही फल बता सके। हम "महावीर विचार" पत्रिका के कार्यकारी सम्पादक श्री नन्दलालजी भाटिया से "स्वपन और उसके वास्तविक फल" उनके इस सकलन को "हे प्रभू" के पाठको हेतु प्रस्तुत कर रहे है।
*पहाड का देखना - दुश्मन पर सफलता प्राप्त करने का सकेत।
*पानी के अन्दर खडे होना - स्वास्थय उत्तम होने का सकेत।
*स्वय को पान खाते देखना- समाज मे प्रतिष्ठा बढने की ओर सकेत।
*गुलाब का लाल फुल देखना - ऐसे स्वपन से जीवन मे सुख और शान्ति प्राप्त होती है।
*पेड से उतरते देखना - असफलता का दोर शुरु होने का चिन्ह।
*अपने दॉत गिरते देखना - किसी घनिष्ट सम्बन्धी की मृत्यू का समाचार या
स्वय किसी स्मस्या से सामाना करना होगा।
*दही देखना - यात्रा का प्रतिक या शुभफलदायक।
*बिच्छू को मार डालना - दुश्मन को पराजित करने का सकेत।
*सिर के बाल खुले देखना- स्त्री के विवाह का प्रतिक।
*जगल देखना - यात्रा का प्रतिक।
*कैची का देखना - मित्र से भेट होना।
*स्वय को सफेद वस्त्र मे देखना पवित्रता व सुख मिलने का प्रतिक है।
*नदी देखना - प्रसिद्धि एवम राहत मिलने का सकेत।
आन्धी या तुफान का देखना - किसी बडी मुसीबत के आने के चिन्ह।
*विवाह का देखना- शोक और कष्ट का प्रतीक है।
*सॉप का देखना- दुश्मनका प्रतिरुप है। इस तरह सॉप खतरनाक होता है
दुश्मन भी उतना ही खतरनाक होगा।
भाटिया़जी - 'क्या सपनो का फल स्त्री पुरुष के लिए सम्मान फलदायक होता है ?'
उतर- 'जो सपने प्रातकाल आते है और फलदायक होते है वे सपने स्त्री या पुरुष जिसे भी आऐ वो जातक को प्रभावित करेगा। भगवान जो सकेत देना चाह रहे है वो उस इन्शान को सपने के माध्यम से पहुचा रहे है।'
भाटिया़जी - 'क्या सपनो का कोई वैज्ञानिक स्वरुप भी है।'
उतर- 'करीब तीन हजार वर्ष पुर्व से स्वपन शास्त्र का इतिहास हमारे सामने है। सत्ययुग मे देवी देवताओ और मानवो के बीच की यह साकेतिक भाषाए थी जो टेलिग्राम का काम करती थी। तब भी विज्ञान था। आज से भी उन्नत प्रकार का विज्ञान।
भाटियाजी - 'तब विज्ञान था ? समझा नही।'
उतर - 'रावण मातासीता जी का अपर्हण करके विमान मे ले जाता है। अर्थ साफ है विमान आज के विज्ञान की देन नही बल्की सदियो पुर्व से है।'
भाटीयाजी - 'अन्तिम सवाल- प्रातःकाल के सपनो का सत्य असत्य यह क्या जोड है ?'
उत्तर- प्रकृति अपने ढंग से भावी शुभाशुभ संकेत देती है। स्वप्न भी इसका माध्यम होते हैं। स्वप्नों के फलों की विवेचना के संदर्भ में भारतीय ग्रंथों में इनके देखे जाने के समय, तिथि व अवस्था के आधार पर इनके परिणामों का सूक्ष्म विश्लेषण किया गया है।
* शुक्ल पक्ष की षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी और दशमी तथा कृष्ण पक्ष की सप्तमी तथा चतुर्दशी तिथि को देखा गया स्वप्न शीघ्र फल देने वाला होता है।
* रात्रि के प्रथम, द्वितीय, तृतीय व चतुर्थ प्रहर के स्वप्नों का फल क्रमशः एक वर्ष, आठ माह, तीन माह व छः दिन में मिलता है।
'शास्त्रो मे कहा गया है की भोर यानी प्रात ४ बजे पुरे लोकजगत मे असुर शक्तीया क्षिण हो जाती है। उनका प्रभाव नकार रहता है । वो समय स्वय भगवान का वास होता है सृष्टि पर, यह समय एक घडी यानी ४८ मिनट तक रहता है। उपरोकत समय मे कोई भी राक्षक्षी गुण वाले देवी देवता किसी प्राणी को सताते नही है अर्थात गलत या असत्य फलकारी सन्देस प्रेषिता नही होते है।
इसमे सभी की अपनी अपनी मान्यता और अपना अपना अध्यन है।' स्वपन शास्त्र के जानकार अब इस ससार से प्राय विलुप्त से है।
भाटियाजी आपका बहुत बहुत आभार !अन्य ब्लोग पर भी इसकी विवेचना हुई है देखे
साँप का स्वप्न | hindi | autobiography
स्वपन कथा
स्वप्न-विचारः सपने क्यूँ आते हैं?
सपने धन के और सपने में धन
फोटु सभार गुगल
काफी जिज्ञासायें रहती हैं इस विषय में. अच्छा लगा ये जानकारी पा कर.आपका आभार!!
aare waah ye tho bahut hi achhi jankari rahi,har swapn ka arth bhi.waah
एक विषय के बारे में जानकारी मिली.
वैसे व्यक्तिगत तौर पर मुझे विश्वास नहीं.
mujhe bhi itana wishwas nahi hai par ......jaankari achchhi mili ........gyan ko vistar mila ........soch priskrit huaa.....bahut bahut shukriya
अदभुत और उपयोगी जानकारी दी आपने. बहुत धन्यवाद.
रामराम.
अदभुत और उपयोगी जानकारी दी आपने. बहुत धन्यवाद.
रामराम.
बढिया एवं उपयोगी जानकारी के लिए आभार.......
बहुत बहुत आभार ,इस जानकारी परक आलेख के लिए.......स्वप्न फल को पूर्ण घटित होते देखा है इसलिए इस विषय में बड़ी उत्सुकता रहती है.....इस विषय को तनिक और विस्तार देने की कृपा करें...
क्या ये जानकारियाँ आप किसी सँदर्भ ग्रँथ से दे रहे हैँ या गुरुजन और पुरखोँ से सुनी हुई बातेँ हैँ ?
जानकारी रोचक लगी - आभार !
-- लावण्या
आदरणीय दीदी,
यह सभी जानकारी मै महान दार्शनिक विज्ञानिक घर्म गुरु जीवन विज्ञान के प्रेणता के आचार्य महाप्रज्ञजी ग्रन्थो से अथवा विभिन्न ज्योतिषय विद्ववानो कि पुस्तको का सहारा लेकर स्वय समझकर लिखता हू। तात्पर्य सिर्फ इतना है ससार अच्छी बातो को जाने एवम अच्छा जीवन जीये।
पिछले दस सालो se विभिन्न धर्म ग्रन्थो को पढ रहा हू। समझ रहा हू जो अथाह सागर की भॉति है। अब तक मैने एक् हजार धार्मिक/साहित्यक पुस्तको एवम का वाचन किया होगा। जो मेरा शोक है। रोज एक से दो धन्टा इसमे व्यतित कतता हू। मेरे सभी लेखो मे लिखा होता है की यह बात किस विद्धवान द्धारा लिखि एवम कही गई है। बाकी आप बडो का आर्शिवाद !
Vidhu Lata
to me
show details 1:32 PM (2 hours ago) Reply
स्वप्न की भाषा सांकेतिक होती है। उसे जो नहीं पकड़ पाता, वह स्वप्न को नहीं जान पाता। वह उसमें उलझ जाता है। उसका रास्ता बहुत टेढ़ा-मेढ़ा होता है....ये सही बात है ।आचार्य महाप्र्भ जी को प्रणाम के साथ.....स्वप्न विषय का अच्छा विश्लेषण किया है उन्होंने आपने एक अच्छा विषय उठाया है स्वप्न और मनोविज्ञान का आदमी के जीवन पर ताउम्र प्रभाव बना रहता है
ये कमेन्ट पोस्ट पर नहीं जा पा रहा है इसलिए ....बाद मैं कोशिश करती हूँ
यह कितनी बड़ी विडम्बना है मैं आपके ब्लॉग पर पहली बार आ रही हूँ, लेकिन स्वयं को देर से आने के लिए धिक्कारने का अवचित्य नहीं करुँगी, बल्कि आपको ह्रदय से धन्यवाद करती हूँ कि आपने स्वप्न जैसी रहस्यमय विधा को स्वरुप देने की चेष्ठा की है, सपनों (मेरा नाम ही स्वप्न मंजूषा है) ने हमेशा ही हर किसी को विवेचना करने को उकसाया है, और आज कुछ सपनों का रहस्य बता कर आपने मन को थोडा सा संतोष दिया है, बहुत बहुत धन्यवाद,
साभार
स्वप्न मंजूषा 'अदा' (Dream Box)
पुनश्च, आपकी टिपण्णी ने आज मेरा दिन सार्थक कर दिया...