महापुरुष किसी भी काल मे और देश मे हो, उनके कर्तृत्व की आभा सदियो को उजाला देती है। तेरापन्थ सध के सस्थापक आचार्य भिक्षु ने अपने कर्तृत्व से जो रोसनी बिखेरी, वह आज भी लाखो लोगो के पथ को आलोकित कर रही है। तेरापन्थ कि दुसरी शताब्दी के प्रज्ञा पुरुष चतुर्थ आचार्य जयआचार्य ने जो शितिज उद्दघाटित किए, उनके कारण तेरापन्थ धर्म सघ मे नये प्राणो का सचार हो रहा है। आचार्य तुलसी के यशस्वी उत्तराधिकारी वर्तमान आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी भी युगप्रधान आचार्य" के सम्मान से सम्मानित हुऐ,यह भी इतिहास कि विरल घटना है। आचार्य श्री महाप्रज्ञजी की उनके धर्म सध द्वारा "कालजयी महर्षि" के रुप मे अभिवन्दना की गई । यह भी इतिहास का दुर्लभ दस्तेवाज है। आचार्य महाप्रज्ञजी की अभिवन्दना का एक नया आयाम है ..
"हे प्रभु यह तेरापन्थ" हिन्दी ब्लोग का आचार्य महाप्रज्ञजी वर्धापन विशेषाक।"
परम श्रेद्धय गुरुदेव आचार्य महाप्रज्ञजी ने पुरुषार्थ परायण जीवन जीया, और जी रहे है। गुरुदेव के
"हे प्रभु यह तेरापन्थ" हिन्दी ब्लोग का आचार्य महाप्रज्ञजी वर्धापन विशेषाक।"
परम श्रेद्धय गुरुदेव आचार्य महाप्रज्ञजी ने पुरुषार्थ परायण जीवन जीया, और जी रहे है। गुरुदेव के
८९ वर्ष के जिवन काल मे वह पुरुषार्थ की दीप शिखा हम सबका मार्गदर्शन करती रही है। गुरुदेव आचार्य महाप्रज्ञजी के ९० वर्ष प्रवेश पर हम कोटि-कोटि वन्दन करते है एवम उनके स्वस्थ स्वास्थय के लिऐ मगलकामना करते है।
जब तुम आए धरती पर, छाई खुशाली
धन्य बनी मॉ बालू, कुक्षि उजाली
चोरडिया कुल को, चमकाया तूने
पाकर तुमको हूऐ निहाल रे॥
अल्पज्ञ तुम महाप्र्ज्ञ कहलाए।
तेरी प्रज्ञा का कोई, पार न पाए
गुरुवर तुलसी की, जाऐ बलिहारी
खोज निकाला गुदडी लाल रे॥
रात दिन ग्रन्थो से, घिरे तुम रहते,
फिर भी निग्रन्थ जैसा जीवन जीते,
पल पल ज्ञानार्जन, आगम का सृजन
जग को दिया प्रेक्षा उपहार रे॥
धन्य बनी मॉ बालू, कुक्षि उजाली
चोरडिया कुल को, चमकाया तूने
पाकर तुमको हूऐ निहाल रे॥
अल्पज्ञ तुम महाप्र्ज्ञ कहलाए।
तेरी प्रज्ञा का कोई, पार न पाए
गुरुवर तुलसी की, जाऐ बलिहारी
खोज निकाला गुदडी लाल रे॥
रात दिन ग्रन्थो से, घिरे तुम रहते,
फिर भी निग्रन्थ जैसा जीवन जीते,
पल पल ज्ञानार्जन, आगम का सृजन
जग को दिया प्रेक्षा उपहार रे॥
कोटी कोटी वन्दन.
हम भी कोटि कोटि बन्धन करते है ओर उन के स्वस्थय की मंगल कामना करते है.
मुझे शिकायत है
पराया देश
छोटी छोटी बातें
नन्हे मुन्हे
बहुत बहुत प्रणाम.
रामराम.
हमारा भी नमन महर्षि को।