विश्व साड़ी दिवस : पर कविता

Posted: 14 जून 2022

 साड़ी...नारी का वो सबसे सुंदर परिधान जो प्रतीक है भारतीय संस्कृति का, 



                      साड़ी 


इक दिन जैसे ही मैंने अलमारी खोली

मेरी प्यारी साड़ी मुझसे ये बोली 


सुनो ज़रा इक बात ये मेरी

बोलो कब आएगी बारी मेरी 


पहने तुमनें कितनें परिधान

एक मेरा ही तुम्हें न आया ध्यान 


कभी मुझे भी बाहर तो लाओ

मुझे भी पहन ज़रा घूम तो आओ 


मुद्दतें हुईं कभी कहीं मैं गई नहीं

बेकार सी पड़ी हूँ कब से यहीं 


कभी मान सखी मेरा भी कहना

मैं निखारूँगी तुम्हें, तुम मुझसे संवरना 


कितनें सुन्दर सुन्दर रंग हैं मेरे

और कितनी अलग अलग है मेरी पहचान 


चंदेरी , पटोला, कांजीवरम

लहरिया, तांत और लिनेन 


ढाकाई, जामदानी, कलमकारी

पोचमपल्ली, बोमकाइ और फुलकारी 


सम्भलपुरी, बनारसी और पैठानी

कासवु, बनारसी और बाँधनी 


शिफॉन, जॉरजेट और चिकनकारी

बोमकाई , मूंगा और बालूचेरी 


माना की जीन्स, सूट पहनना है आसान

पर मेरी भी कुछ अलग ही है शान 


कजरा गजरा चूड़ी बाली बिंदिया

ये सब हैं मेरी ही सखियाँ 


सब हँस हँस कर मेरे संग है आतीं

रूप तेरा दूना कर जातीं 


जब मेरा लहराता है आँचल

रुक जाते हैं उड़ते बादल 


सुनकर बातें ये साड़ी की  

मैं बोली ऐसा ना बोल सखी री

पहनूँगी तुम्हें अभी आज से ही 


तो आओ साड़ी को दे इक नई उड़ान

बनाये इसे आधुनिकता की पहचान 


करें अपनी संस्कृति का सम्मान

साड़ी से बढ़ता है हर नारी का मान....

साड़ी से बढ़ता है हर नारी का मान....


साभार : अज्ञात 

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