गाय के घी का महत्त्व

Posted: 02 जून 2022

 गाय के घी का महत्त्व

●आज खाने में घी ना लेना एक फैशन बन गया है।

●बच्चे के जन्म के बाद डॉक्टर्स भी घी खाने से मना करते है।

●दिल के मरीजों को भी घी से दूर रहने की सलाह दी जाती है।


अब जानिये फायदे

●- रोजाना कम से कम 2 चम्मच गाय का घी तो खाना ही चाहिए।


●- यह वात और पित्त दोषों को शांत करता है।


●- चरक संहिता में कहा गया है की जठराग्नि को जब घी डाल कर प्रदीप्त कर दिया जाए तो कितना ही भारी भोजन क्यों ना खाया जाए, ये बुझती नहीं।


●- बच्चे के जन्म के बाद वात बढ़ जाता है जो घी के सेवन से निकल जाता है। अगर ये नहीं निकला तो मोटापा बढ़ जाता है।


●- हार्ट की नालियों में जब ब्लोकेज हो तो घी एक ल्यूब्रिकेंट का काम करता है।


●- कब्ज को हटाने के लिए भी घी मददगार है।


●- गर्मियों में जब पित्त बढ़ जाता है तो घी उसे शांत करता है।


●- घी सप्तधातुओं को पुष्ट करता है।


●- दाल में घी डाल कर खाने से गेस नहीं बनती।


●- घी खाने से मोटापा कम होता है।


●- घी एंटीओक्सिदेंट्स की मदद करता है जो फ्री रेडिकल्स को नुक्सान पहुंचाने से रोकता है।


●- वनस्पति घी कभी न खाए क्यूंकि ये पित्त बढाता है और शरीर में जम के बैठता है।


●- घी को कभी भी मलाई गर्म कर के ना बनाए। इसे दही जमा कर मथने से इसमें प्राण शक्ति आकर्षित होती है। फिर इसको गर्म करने से घी मिलता है।


अब मर्जी आपकी, खाओ या न खाओ।

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