हिंदी का थोडा़ आनंद लीजिये...मुस्कुराइए...
ये अजब गज़ब मुहावरे नहीं बुजुर्गों के अनुभवों की खान हैं
हिंदी के मुहावरे, बड़े ही बावरे हैं,
खाने पीने की चीजों से भरे हैं...
कहीं पर फल हैं तो कहीं आटा-दालें है,
कहीं पर मिठाई है, कहीं पर मसाले हैं,
चलो, फलों से ही शुरू करते हैं,
एक एक कर सबके मजे लेते हैं...
यहां आम के आम और गुठलियों के भी दाम मिलते हैं, कभी अंगूर खट्टे हैं, तो कभी खरबूजे, खरबूजे को देख कर रंग बदलते हैं, कहीं दाल में काला है, तो कहीं किसी की दाल ही नहीं गलती है,
कोई डेढ़ चावल की खिचड़ी पकाता है,
तो कोई लोहे के चने चबाता है,
कोई घर बैठा रोटियां तोड़ता है,
कोई दाल भात में मूसरचंद बन जाता है,
गरीबी में जब आटा गीला होता है, तो आटे दाल का भाव मालूम पड़ जाता है,
सफलता के लिए कई पापड़ बेलने पड़ते हैं, आटे में नमक तो चल जाता है, पर गेंहूं के साथ, घुन भी पिस जाता है, अपना हाल तो बेहाल है, ये मुंह और मसूर की दाल है,
गुड़ खाते हैं और गुलगुले से परहेज करते हैं, और कभी गुड़ का गोबर कर बैठते हैं,
कभी तिल का ताड़, कभी राई का पहाड़ बनता है, कभी ऊँट के मुंह में जीरा है,
कभी कोई जले पर नमक छिड़कता है,
किसी के अभी दूध के दांत ही नही टूटे हैं, तो कई यहां पर दूध के धुले हैं,
कोई जामुन के रंग सी चमड़ी पा के रोई है, तो किसी की चमड़ी जैसे मैदे की लोई है, किसी को छठी का दूध याद आ जाता है, तो कहीं दूध का जला छाछ को भी फूंक फूंक पीता है, फिर तो बस.. दूध का दूध पानी का पानी हो जाता है,
शादी तो बूरे के वो लड्डू हैं, जो खाए वो भी पछताए, और जिसने नहीं खाए, वो भी पछताते हैं, पर शादी की बात सुन, सबके मन में लड्डू फूटते है, और शादी के बाद, किसी किसी के दोनों हाथों में लड्डू होते हैं,
कोई जलेबी की तरह सीधा है, कोई टेढ़ी खीर है, तो किसी के मुंह में घी शक्कर है, यहां सबकी अपनी अपनी तकदीर है.. कभी कोई चाय-पानी करवाता है, तो अपने मतलब के लिए कोई मक्खन लगाता है और जब छप्पर फाड़ कर कुछ मिलता है, तो सभी के मुंह में पानी आ जाता है,
भई अब कुछ भी हो, घी तो आखिर खिचड़ी में ही जाता है, जितने मुंह हैं, उतनी बातें हैं, मुफ्त की मलाई सभी खाना चाहते हैं सब अपनी-अपनी बीन बजाते हैं, पर नक्कारखाने में तूती की आवाज कौन सुनता है, सभी बहरे हैं, बावरें है ये सब हिंदी के मुहावरें हैं...
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें
आपकी अमुल्य टीपणीयो के लिये आपका हार्दिक धन्यवाद।
आपका हे प्रभु यह तेरापन्थ के हिन्दी ब्लोग पर तेह दिल से स्वागत है। आपका छोटा सा कमेन्ट भी हमारा उत्साह बढता है-