tag:blogger.com,1999:blog-6602701595966810656.post1617218950925462521..comments2023-10-17T07:58:07.056-07:00Comments on हे प्रभु यह तेरापथ: जैन:प्राचीन इतिहास-4हें प्रभु यह तेरापंथhttp://www.blogger.com/profile/12518864074743366000noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-6602701595966810656.post-655633990364506732010-01-10T09:07:55.247-08:002010-01-10T09:07:55.247-08:00आपसे इस संदर्भ मे फ़ो पर वार्तालाप हुआ था. और इससे...आपसे इस संदर्भ मे फ़ो पर वार्तालाप हुआ था. और इससे यही सिद्ध होता है कि प्रथम तीर्थंकर एक ही थे. कालांतर मे कौन किससे किस रुप मे अलग हो गया यह एक अलग शोध का विषय हो सकता है. आपने बहुत ही सुंदर विषय पर रोचक तरीके से लिखा है. आभार.<br /><br />रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6602701595966810656.post-79334768493373015742010-01-10T04:37:53.898-08:002010-01-10T04:37:53.898-08:00जैन धर्म के ऋग्वैदिक सन्दर्भ! बन्धुवर मैं तो तन्द्...जैन धर्म के ऋग्वैदिक सन्दर्भ! बन्धुवर मैं तो तन्द्रा से जगा मानो।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6602701595966810656.post-60504808684903150832010-01-10T03:28:24.645-08:002010-01-10T03:28:24.645-08:00बहुत सुंदर ग्याण की बात बताई आप ने.
धन्यवादबहुत सुंदर ग्याण की बात बताई आप ने.<br />धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6602701595966810656.post-48975721238851736452010-01-10T00:59:58.513-08:002010-01-10T00:59:58.513-08:00संग्रहणीय प्रयास,धन्यवाद.संग्रहणीय प्रयास,धन्यवाद.डॉ. मनोज मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07989374080125146202noreply@blogger.com